असम के सीमावर्ती इलाकों में जनसंख्या अधिक!

Last Updated 23 Jul 2019 12:55:21 AM IST

असम में सीमावर्ती इलाकों की जनसंख्या राज्य की औसतन जनसंख्या वृद्धि से काफी ज्यादा है जिसने केंद्र और राज्य के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। यही कारण है कि केंद्र ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) की पुन: जांच के लिए उच्चतम न्यायालय से गुहार लगाई है।


असम के सीमावर्ती इलाकों में जनसंख्या अधिक!

केंद्र और असम ने इसी कारण सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है। केंद्र ने यह गुहार लगाई है कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) का अंतिम रूप से छपने की अंतिम तिथि 31 जुलाई से बढ़ाई जाए। भारत-बांग्लादेश बॉर्डर स्थित 20 प्रतिशत लोगों का जिनका नाम एनआरसी में डाला गया है, उसमें काफी गड़बड़ी की आशंका है। सूत्रों का कहना है कि इन इलाकों की जनसंख्या पूरे असम राज्य की जनसंख्या वृद्धि के अनुपात से कहीं ज्यादा है।
केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में कहा है कि अभी सीमावर्ती इलाकों में लोगों को एनआरसी में डाला गया है, उनके दस्तावेजों की भी फुल प्रूफ जांच होगी। अभी तक की जांच में एनआरसी में करीब 2.89 करोड़ लोगों को जोड़ा गया है। इसमें 40 लाख 70 हजार 707 को पहले ही दस्तावेज और नागरिकता पर संदेह होने के कारण सूची से हटा दिया गया था। ढाई लाख लोगों का नाम विचाराधीन के तौर पर रखा गया है, जिनके दस्तावेजों की पुन: जांच की जाएगी।

सूत्रों का कहना है कि सरकार पूरी एनआरसी को हर तरह से फुल प्रूफ बनाना चाहती है, ताकि भविष्य में इस पर अंगुली उठानी की गुंजाइश ही न हो, लेकिन जिस तरह से सीमावर्ती इलाकों की आबादी राज्य के आनुपातिक आबादी से काफी ज्यादा है, वह एक सवालिया निशान खड़ा करता है। साथ ही साथ इस चीज से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि घुसपैठिए अब भी अपने कार्य को अंजाम दे रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, सरकार ने उच्चतम न्यायालय को कहा है कि अब पुन: जांच होगी और उसमें क्लास वन अधिकारी ही रहेंगे तथा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जिस क्षेत्र में पुन: जांच की प्रक्रिया चल रही हो, वह अधिकारी उस जिले या क्षेत्र का न हो। अभी तक जितने दस्तावेज खारिज किए गए हैं, उसमें सारे के सारे सही आधार पर ही किए गए हैं।
बावजूद सरकार किसी भी तरह की गड़बड़ी होने का जोखिम नहीं उठाना चाहती और यह सुनिश्चित करना चाहती है कि एनआरसी एकदम सटीक है। यहां तक कि दो लाख से ज्यादा ऐसे लोगों की सूचना है, जिनको सूची में शामिल करने में कोई दिक्कत नहीं है। इसके लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र लिया जा चुका है और उसकी भी पुन: जांच होगी।

कुणाल/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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