सीजेआई जस्टिस गोगोई ने किया पीएम से आग्रह, सुप्रीम कोर्ट में बढ़ाई जाए जजों की संख्या
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की उम्र 62 से बढ़ाकर 65 करने का अनुरोध किया है।
![]() चीफ जस्टिस रंजन गोगोई (file photo) |
सीजेआई ने आग्रह किया है कि हाई कोर्ट में लंबित 43 लाख से अधिक मुकदमों का निपटारा करने के लिए संविधान संशोधन के जरिए सेवानिवृत्ति की उम्र तीन साल बढ़ाई जाए।
सीजेआई गोगोई ने प्रधानमंत्री से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की पुन: नियुक्ति का भी अनुरोध किया है। संविधान के अनुच्छेद 128 और 224 ए के तहत रिटार्यड जज को निश्चित अवधि के लिए दोबारा नियुक्त किया जा सकता है। सीजेआई ने जजों की संख्या में बढ़ोतरी का अनुरोध किया है, ताकि बरसों से लंबित पड़े मुकदमों का निपटारा किया जा सके।
चीफ जस्टिस ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में 58 हजार से अधिक मामले लंबित हैं और नए मामले दर्ज होने के चलते इस संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की कमी के चलते कानून के सवाल से जुड़े अहम मामलों पर फैसला करने के लिए जरूरी संख्या में संविधान पीठें गठित नहीं की जा रही हैं। उन्होंने लिखा है कि आप याद करें कि करीब तीन दशक पहले 1998 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के स्वीकृत पद 18 से बढ़ा कर 26 किए गए थे और फिर दो दशक बाद 2009 में इसे बढ़ाकर 31 किया गया, ताकि मामलों के निपटारे में तेजी लाई जा सके।
गोगोई ने लिखा कि मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया इस पर शीर्ष प्राथमिकता के साथ विचार करें, ताकि सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ सके और यह अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सके क्योंकि समय पर न्याय मुहैया करने के अपने अंतिम लक्ष्य को पाने में इसे लंबा सफर तय करना है। पत्र में सीजेआई ने कहा है कि हाई कोर्ट के जजों की स्वीकृत संख्या में इजाफा किया गया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इसके अनुपात में न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि नहीं हुई है। सीजेआई ने दूसरे पत्र में मोदी से एक संविधान संशोधन विधेयक लाने पर विचार करने को कहा है, ताकि हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाकर 62 से 65 साल की जा सके।
हाई कोर्ट में रिक्त पड़े हैं स्वीकृत पद
गोगोई के अनुसार जजों की कमी के कारण लंबित मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 25 हाई कोटरे में न्यायाधीशों के 1079 पद स्वीकृत हैं लेकिन इनमें 399 रिक्त पड़े हैं। यह कुल स्वीकृत पदों की संख्या का 37 प्रतिशत है। कॉलेजियम की कोशिश के बावजूद यह पद नहीं भरे जा सके हैं। मौजूदा रिक्तियों को फौरन भरे जाने की जरूरत है। हालांकि, सभी हितधारकों के सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद न्यायाधीशों की मंजूर संख्या के नजदीक न्यायाधीशों की कार्यरत संख्या को लाने के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति संभव नहीं रही है।
सीजेआई ने यह भी लिखा है कि हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति उम्र तीन साल बढ़ा कर 65 साल की जानी चाहिए। इससे लंबित पड़े मामलों की संख्या घटाने में मदद मिलेगी। यह संसद की स्थायी समितियों की सिफारिशों के अनुरूप भी होगा। गोगोई ने यह भी कहा कि एक न्यायाधीश को विकसित होने में वक्त लगता है और तब जाकर वह प्रैक्टिस के समृद्ध अनुभव के आधार पर नवोन्मेषी विचारों को प्रस्तुत कर पाने की स्थिति में होता है।
उन्होंने लिखा कि यदि हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को 62 साल से अधिक उम्र में अधिकरणों में नियुक्त करने के लिए योग्य माना जाता है तो वे लोग हाई कोटरे में भी 65 साल की आयु तक सेवा दे सकते हैं। इससे लंबे समय कहीं अधिक अनुभवी न्यायाधीशों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने का जिक्र नहीं किया है। इस समय सुप्रीम कोर्ट का जज 65 साल की उम्र में अवकाश ग्रहण करता है। काफी अरसे बाद सुप्रीम कोर्ट अपनी पूरी क्षमता के साथ काम कर रहा है। इस समय सभी 31 जज कार्यरत हैं।
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