17वीं लोकसभा का पहला सत्र: मोदी बोले- पक्ष-विपक्ष छोड़, निष्पक्ष करें काम

Last Updated 17 Jun 2019 10:37:54 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17वीं लोकसभा के पहले दिन विपक्ष से सदन में अपनी संख्या के बारे में चिंता ना कर सदन की कार्यवाही में सक्रियता से भाग लेने का आग्रह किया।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री 17वीं लोकसभा के पहले सत्र के पहले दिन नये सांसदों का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘गत पांच वर्ष का अनुभव है कि जब सदन चला है, स्वस्थ वातावरण में चला है, तब देशहित के निर्णय भी बहुत अच्छे हुए हैं। उन अनुभवों के आधार पर मैं आशा करता हूं कि सभी दल बहुत ही उत्तम प्रकार की चर्चा, जनहित के फैसले और जनाकांक्षाओं की पूर्ति की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।’’

मोदी ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ नारे का उल्लेख करते हुए कहा कि देश की जनता में ‘सबका साथ सबका विकास’ ने एक अद्भुत विश्वास भर दिया और इस विश्वास को लेकर लोगों की आशा-आकांक्षाओं और सपनों को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।

मोदी ने कहा, ‘‘चुनाव के बाद, नई लोकसभा के गठन के बाद आज प्रथम सत्र प्रारंभ हो रहा है। अनेक नये साथियों के परिचय का एक अवसर है और जब नये साथी जुड़ते हैं, तो उनके साथ नयी उमंग, नया उत्साह, नये सपने भी जुड़ते हैं। भारत के लोकतंत्र की विशेषताएं क्या है? ताकत क्या है? हर चुनाव में हम उसको अनुभव करते हैं।’’

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद संसदीय चुनावों में सबसे ज्यादा मतदान और सबसे ज्यादा महिला प्रतिनिधियों का चुनाव हुआ है। पहले की तुलना में बहुत अधिक मात्रा महिला  मतदाताओं का मतदान करना सहित अनेक विशेषताओं से यह चुनाव भर रहा। कई दशकों के बाद एक सरकार को दोबारा पूर्ण बहुमत के साथ और पहले से अधिक सीटों के साथ जनता-जनार्दन ने सेवा करने का अवसर दिया है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘लोकतंत्र में विपक्ष का होना, विपक्ष का सक्रिय होना, विपक्ष सामर्थ्यवान होना यह लोकतंत्र की अनिवार्य शर्त है और मैं आशा करता हूं कि प्रतिपक्ष के लोग  नंबर की चिंता छोड़ दें। देश की जनता ने जो उनको नंबर दिया है, वो दिया है, लेकिन हमारे लिए उनका हर शब्द मूल्यवान है, उनकी हर भावना मूल्यवान है। सदन में जब हम उस कुर्सी पर बैठते हैं, सांसदों के रूप में बैठते हैं, तब पक्ष-विपक्ष से ज्यादा निष्पक्ष की भावना बहुत महत्त्व रखती है। मुझे विश्वास है कि पक्ष और विपक्ष के दायरे में बंटने की बजाय निष्पक्ष भाव से जनकल्याण को प्राथमिकता देते हुए हम आने वाले पांच साल के लिए इस सदन की गरिमा को ऊपर उठाने में प्रयास करेंगे।’’

मोदी ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि पहले की तुलना में अधिक परिणामकारी हमारे सदन रहेंगे और जनहित के कामों में अधिक ऊर्जा, अधिक गति और अधिक सामूहिक चिंतन का भाव उसको अवसर मिलेगा।’’

उन्होंने कहा कि सदन में कई सदस्य बहुत ही उत्तम विचार रखते हैं, बहस को बहुत प्राणवान बनाते हैं, लेकिन चूंकि ज्यादातर वो रचनात्मक होते हैं। अगर सरकार की आलोचना भी बहुत तर्कबद्ध से कोई सांसद सदन में करता है और वो बात पहुंचती है तो उसमें लोकतंत्र को बल मिलता है।

उन्होंने कहा कि इस लोकतंत्र को बल देने में बहुत अपेक्षाएं हैं। शुरू में तो जरूर उन अपेक्षाओं को पूरा करेंगे, लेकिन पांच साल इस भावना को प्रबल बनाने में बहुत बड़ी सकारात्मक भूमिका अदा कर सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आपको भी निमंत्रण देता हूं कि 17वीं लोकसभा में हम उसी नई ऊर्जा, नये विश्वास, नये संकल्प, नये सपनों के साथ-साथ मिल करके आगे चले। देश की सामान्य मानव की आशा-आकांक्षाओं को पूर्ण करने में हम कहीं कमी न रखें। इसी विश्वास के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।’’

 

वार्ता
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment