सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, सरकारी अधिकारी मंदिरों का प्रबंधन क्यों कर रहे हैं?
उच्चतम न्यायालय ने पुरी में जगन्नाथ मंदिर में अनेक श्रृद्धालुओं को परेशान किए जाने के तथ्य का संज्ञान लेते हुए सोमवार को जानना चाहा कि देश में धार्मिक स्थलों और मंदिरों का प्रबंध सरकारी अधिकारियों को क्यों करना चाहिए।
![]() सुप्रीम कोर्ट |
न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने जगन्नाथ मंदिर में श्रृद्धालुओं को होने वाली परेशानियों और उन्हें ‘सेवकों’ (कर्मचारियों) द्वारा हैरान परेशान करने तथा उनका शोषण करने के तथ्यों का उजागर करते हुए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की, यह नजरिये का मामला है। मै नहीं जानता कि मंदिरों का प्रबंधन सरकारी अधिकारियों को क्यों करना चाहिए? तमिलनाडु में मूर्तियों की चोरी होती है। धार्मिक भावनाओं के अलावा ये मूर्तियां अनमोल हैं।
अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत से कहा, केरल में सबरीमला मंदिर का संचालन त्रावणकोण देवास्वम बोर्ड कर रहा है जबकि सरकारों द्वारा नियुक्त बोर्ड देश में अनेक मंदिरों का प्रबंधन देख रहे हैं। वेणुगोपाल ने कहा, पंथनिरपेक्ष देश में सरकार किस हद तक मंदिरों को नियंत्रित कर सकती है या उनका प्रबंधन कर सकती है?
इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही न्याय मित्र की भूमिका में वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने कहा, उन्होंने जगन्नाथ मंदिर के अपने दौरे के बारे में विस्तृत रिपोर्ट पेश की है। इस पर पीठ ने टिप्पणी की, कई कारणों से लोग (मंदिर आने वाले) परेशान होते हैं। पुजारी उन्हें नियंत्रित करते हैं।
इनमें से अनेक की कोई सुनता नहीं। वे गरीब और अशिक्षित हैं। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को न्यायालय को बताना चाहिए कि इस मामले में पुरी के जिला न्यायाधीश की रिपोर्ट पर उसने क्या कदम उठाये हैं। पीठ ने कहा कि इस मामले में अगले महीने सुनवाई की जाएगी।
इससे पहले, सुनवाई के दौरान इस मामले में हस्तक्षेप के लिए आवेदन दायर करने वाले एक वकील ने कहा कि यह याचिका वचिार योग्य नहीं है। वकील ने जब जोर से बोलना शुरू किया तो न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा, इतना काफी है। आप न्यायालय में बहुत ही अशोभनीय आचरण कर रहे हैं।
हम नहीं चाहते कि कोई बगैर बारी के जोर जोर बोले। आप न्यायालय में इस तरह से नहीं बोलेंगे जैसे अभी कर रहे हैं। न्याय-मित्र ने इससे पहले न्यायालय से कहा कि मंदिर में बड़े मुद्दे में श्रृद्धालुओं की भीड़ का उचित तरीके से प्रबंध करने में कमी और वहां श्रृद्धालुओं के लिये कतार की व्यवस्था नहीं है।
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