BJP को छोड़ शत्रुघ्न सिन्हा ने थामा कांग्रेस का हाथ, पटना साहिब से लड़ेंगे चुनाव
भारतीय जनता पार्टी के बागी नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने शनिवार को कांग्रेस का हाथ थाम लिया और वह पटना साहिब सीट से चुनाव लड़ेंगे।
![]() कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा |
उन्होंने कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और कुछ अन्य नेताओं की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।
कांग्रेस में सिन्हा का स्वागत करते हुए वेणुगोपाल ने कहा, "सिन्हा एक बेहतरीन नेता हैं। पहले गलत पार्टी में थे, अब सही पार्टी में आये हैं। हम उनका स्वागत करते हैं। चुनाव में इससे वे ताकतें और मजबूत होंगी जो भारत की एकजुटता के लिए लड़ रही हैं।"
कांग्रेस के बिहार प्रभारी गोहिल ने कहा, "जब कोई झूठ बोलता है तो सिन्हा कहते हैं खामोश, लेकिन जब सच बोलने की बात आती है तो वह खामोश नहीं हो सकते हैं। वह स्टार प्रचारक के रूप में देश में घूमेंगे। इससे हमें फायदा होगा।"
रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "वैचारिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से सिन्हा का लगाव कांग्रेस की विचारधारा से रहा है। वह अपनी बेबाक शैली, सत्य बोलने, सत्ता को सच का आईना दिखाने के संकल्प, छोटों को स्नेह और अपने से बड़ों को आदर देने वाले व्यक्ति हैं।"
कांग्रेस में शामिल होने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने शनिवार को दावा किया कि भाजपा में लोकतंत्र को तानाशाही बदल दिया गया जिसकी वजह से उन्हें इस पार्टी से अलग होना पड़ा। उन्होंने कहा कि इस बार पटना साहिब से वह पिछली बार से ज्यादा वोटों से जीतेंगे।
'भाजपा में लोकतंत्र अब तानाशाही में बदल गया'
भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने शनिवार को दावा किया कि भाजपा में लोकतंत्र को तानाशाही बदल दिया गया जिसकी वजह से उन्हें इस पार्टी से अलग होना पड़ा।
सिन्हा यह भी कहा कि वह उस कांग्रेस में शामिल हुए हैं जिसका देश की आजादी में सबसे बड़ा योगदान है।
उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 'देश का भविष्य' करार देते हुए कहा कि राहुल गांधी एक बहुआयामी और दूरदर्शी नेता के तौर पर सामने आए हैं।
कांग्रेस में शामिल होने के बाद सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा, "भाजपा में मेरी परवरिश हुई। धीरे धीरे मैं आगे बढ़ता गया। बाद में परिवर्तन शुरू हुआ, लेकिन वह परिवर्तन अच्छा नहीं था। धीरे धीरे भाजपा में लोकतंत्र तानाशाही में बदल गया।"
उन्होंने कहा कि बड़े महारथियों को मार्गदर्शकमण्डल में डाल दिया जिसकी कोई बैठक नहीं हुई। यशवंत सिन्हा, मुरली मनोहर जोशी, सुमित्रा महाजन और अरुण शौरी के साथ क्या किया गया, सबको पता है।
सिन्हा ने कहा कि आज तक उनके ऊपर किसी तरह आरोप खासकर भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा। इसके बावजूद उनसे दूरी बनाई गई।
नोटबन्दी और जीएसटी को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "100 स्मार्ट सिटी का वादा किया लेकिन एक भी स्मार्ट नहीं दिखा सकते। मैंने देश हित की बात की थी। कभी राफेल या किसी दूसरे मामले में कमीशन नहीं मांगा। कोई डील नहीं की।"
उन्होंने दावा किया कि 'वन मैन शो' और 'टू मैन आर्मी' वालों के पैमाने पर जो खरा नहीं उतरा उसे किनारे लगा देते हैं। अब तो आडवाणी जी को भी ब्लॉग लिखना पड़ा।
सिन्हा ने कहा, "पूरे सम्मान के साथ कहना चाहूंगा कि प्रचार पर हजारों करोड़ रुपये खर्च करने की जगह अगर विकास पर ध्यान दिया होता बहुत कुछ हो जाता।"
उन्होंने कहा, "मैं राहुल जी से सहमत हूँ कि नोटबन्दी सबसे बड़ा घोटाला है।"
सिन्हा ने यह भी कहा कि उन्हें लालू प्रसाद का भी सहयोग मिला। "मैं उनका आभारी हूं।"
सिन्हा ने गत 28 मार्च को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की थी और उसी समय उनका पार्टी में शामिल होना लगभग तय हो गया था।
सिन्हा पिछले लोकसभा चुनाव में पटना साहिब से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। हालांकि, उन्होंने पिछले कुछ वर्षों से बागी रुख अख्तियार कर रखा था।
पिछले दिनों भाजपा ने उनकी जगह कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पटना साहिब से अपना उम्मीदवार घोषित किया।
हाल के कुछ महीनों में सिन्हा ने कई मौकों पर कांग्रेस अध्यक्ष की तारीफ की है।
उन्होंने कांग्रेस के न्यूनतम आय योजना (न्याय) के चुनावी वादे को ‘मास्टर स्ट्रोक’ बताया था।
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