खबरों को सनसनीखेज बनाना पत्रकारिता का अपमान है : राजनाथ
गृह मंत्री राजनाथसिंह ने शुक्रवार को कहा कि पत्रकारिता में सनसनी फैलाने से बचा जाना चाहिये क्योंकि यह पेशे का अपमान है। उन्होंने पत्रकारों से खबरों के साथ विचारधारा को नहीं मिलाने को कहा।
गृह मंत्री राजनाथसिंह |
पत्रकारिता के क्षेत्र में 29 पत्रकारों को रामनाथ गोयनका पुरस्कार देने के बाद मुख्य वक्ता के तौर पर अपने भाषण में गृह मंत्री राजनाथसिंह ने कहा कि वह नहीं मानते कि सरकार और मीडिया के बीच ‘‘दोस्ती’’ संभव नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘दोस्ती न हो, पर वैर भी न हो।’’ और पत्रकारिता में सनसनी फैलाने से बचा जाना चाहिये क्योंकि यह पेशे का अपमान है।
गृह मंत्री ने कहा कि ईमानदार पत्रकारिता देश को ताकत देती है और लोकतंत्र को मजबूत बनाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर किसी खबर को सनसनीखेज बनाया जाता है तो यह पत्रकारिता का अपमान है। अगर हम सनसनीखेज बनाने की दौड़ में हैं तो वस्तुनिष्ठता नहीं रहेगी। इससे बचा जाना चाहिये।’’
राजनाथसिंह ने कहा कि मीडिया की भूमिका लोकतंत्र के रक्षक के तौर पर है और निष्पक्ष पत्रकारिता पेशे में चमक लाती है।
गृह मंत्री ने कहा, ‘‘मीडिया को सत्ता को आईना दिखाना चाहिये, लेकिन उसमें कोई रंग नहीं होना चाहिये--खबर को विचारधारा के साथ नहीं मिलाएं। यह इसकी विसनीयता पर सवाल खड़ा कर सकता है।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘समाचार पत्र में विचारों के लिये अलग से जगह है।’’
उन्होंने कहा कि अपनी गलती को स्वीकार करना बहुत साहस की बात है।
उन्होंने कहा, ‘‘क्षमा मांगकर कोई छोटा नहीं हो जाता, बल्कि यह आपके कद को बढाता है।’’
सिंह ने कहा कि अगर कोई पत्रकारीय कर्म राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिये आवरण बन जाता है तो हमें ऐसे प्रयासों से दूर रहना चाहिये।
उन्होंने कहा, ‘‘कोई एजेंडा नहीं होना चाहिये।’’
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता भरोसे का संबंध है और पत्रकारों और पत्रकारिता करने वालों को सावधान रहना चाहिये कि लोगों का भरोसा नहीं टूटे।
सिंह ने कहा, ‘‘रामनाथ गोयनका (द इंडियन एक्सप्रेस के संस्थापक) के समर्पण की वजह से पत्रकारिता का स्तर ऊपर गया है। रामनाथ गोयनका को आपातकाल का विरोध करने के लिये काफी कीमत चुकानी पड़ी थी, लेकिन उन्होंने ईमानदारी से समझौता नहीं करने का संकल्प लिया था।’’
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