2.24 लाख कंपनियों पर लटका ताला, फर्जीवाड़े में फंसे 3000 डायरेक्टर
मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले की भले ही आलोचना हो रही हो लेकिन इससे कालेधन के प्रवाह पर काफी हद तक अंकुश लगा है. नोटबंदी के बाद कंपनी मामलों के मंत्रालय ने बड़ी कार्रवाई की है.
2.24 लाख कंपनियों पर लटका ताला. |
इसके तहत सरकार 2.24 लाख ऐसी कंपनियों को बंद करा चुकी है जिनमें दो साल से ज्यादा समय से कोई कारोबार नहीं हो रहा था. इसके साथ ही 3000 से ज्यादा निदेशकों को अयोग्य घोषित किया जा चुका है.
निदेशक अयोग्य घोषित : जिन कंपनियों ने वित्त वर्ष 2013-14 से 2015-16 तक लगातार वित्तीय रपट अथवा सालाना रिटर्न दाखिल नहीं किए हैं उनके निदेशकों को अयोग्य घोषित करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. प्राथमिक सूचनाओं के के मुताबिक 3000 से ज्यादा निदेशकों को अयोग्य घोषित किया जा चुका है. जांच में पता चला है कि इनमें से एक-एक निदेशक 20-20 कंपनियों के बोर्ड में शामिल है जो कानून के खिलाफ है.
संदिग्ध लेनदेन की छानबीन : आधिकारिक बयान के अनुसार नोटबंदी के बाद संदिग्ध लेनदेन के बड़े पैमाने पर छानबीन की गई है. इस बारे में 56 बैंकों से मिली सूचना के मुताबिक 35,000 कंपनियों के 58,000 खातों की जांच में पता चला कि नोटबंदी के बाद इन खातों से 17,000 करोड़ का लेनदेन हुआ था. पहले भी सरकार कई फर्जी कंपनियों का शटर डाउन कर चुकी है.
डमी निदेशकों पर शिंकजा : सरकार ने डमी निदेशकों पर शिंकजा कसने के लिए एक विशेष पहल की है. इसके तहत अब नए आवेदनों के लिए डीआईएन को पैन और आधार के साथ जोड़ा जाएगा. निदेशकों की बायोमेट्रिक जांच की जाएगी. सरकार की योजना आगे चलकर इस नियम को पुराने निदेशकों पर भी लागू करने की है.
सरकार ने लगाई संपत्ति की खरीद-फरोख्त पर पाबंदी
सरकार ने इन कंपनियों के बैंक खातों को सील कर दिया है. साथ ही इनकी संपत्तियों की खरीद-फरोख्त पर भी पाबंदी लगा दी गई है. इस बारे में राज्य सरकारों से कहा गया कि इन कंपनियों की संपत्ति की रजिस्ट्री न की जाए. फर्जीवाड़े में बंद की गई कंपनियों में से एक कंपनी ऐसी है जिसके बैंक खाते में नोटबंदी से पहले शून्य जमा था. नोटबंदी के बाद इसने 2484 करोड़ रुपए जमा किए और निकाल लिए.
शिंकजा कसने पीएमओ ने बनाया कार्यबल
फर्जी कंपनियों पर शिंकजा कसने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक विशेष कार्यबल (एसटीएफ) गठित किया है. राजस्व एवं कंपनी मामलों के सचिव इस कार्यबल के अध्यक्ष हैं. यह कार्यबल फर्जी कंपनियों के खिलाफ अभियान चलाएगा. अभी तक इसकी पांच बैठकें हो चुकी हैं. इस बल ने कई फर्जी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है जिससे कालाधन पकड़ने में मदद मिली है.
विशेष साफ्टवेयर का विकास
कालेधन पर लगाम लगाने के लिए सरकार एक विशेष साफ्टवेयर विकसित करा रही है. इसको तैयार करने के लिए तेजी से काम चल रहा है. नई कंपनियों के आवेदन इसी साफ्टवेयर के जरिए स्वीकार किए जाएंगे. संदिग्ध सूचना मिलने पर यह साफ्टवेयर तत्काल जानकारी दे देगा. इस पहल को 'अर्ली वार्निग सिस्टम' (ईडब्ल्यूएस) नाम दिया गया है. यह साफ्टवेयर वित्त मंत्रालय की खुफिया एजेंसी एसएफआईओ की निगरानी में काम करेगा. सरकार की इस पहल से नियामक व्यवस्था मजबूत होगी.
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