मोदी ने किया सरदार पटेल का गुणगान, की रन फॉर यूनिटी में भाग लेने की अपील

Last Updated 29 Oct 2017 12:42:20 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 37वें 'मन की बात' कार्यक्रम में देश को संबोधित किया. उन्होंने सरदार वल्लभ भाई पटेल का गुणगान किया. साथ ही पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी को भी याद किया.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल ने आधुनिक अखण्ड भारत की नींव रखी और इसके लिए उन्होंने जरूरत के अनुसार, मान मनौव्वल और बल प्रयोग किया और जटिल समस्याओं का व्यावहारिक हल निकाला. उन्होंने कहा कि देश की इस महान संतान की असाधारण यात्रा से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं. उनकी विशेषता यह थी कि वे न सिर्फ परिवर्तनकारी विचार देते थे, बल्कि उनको अंजाम देने के लिए जटिल-से-जटिल समस्या का व्यावहारिक हल ढूंढने में भी सक्षम थे. विचारों को साकार करने में उनको महारत हासिल थी.

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारत को एक सूत्र में पिरोने की बागडोर संभाली. उनकी निर्णय क्षमता ने उन्हें सारी बाधाएं पार करने की सामर्थ्य दी. जहां मान-मनौव्वल की आवश्यकता थी, वहां उन्होंने मान-मनौव्वल किया और जहा बल-प्रयोग की आवश्यकता पड़ी, वहा बल-प्रयोग किया. मोदी के मुताबिक, सरदार पटेल ने कहा था जाति और पंथ का कोई भेद हमें रोक न सके, सभी भारत के बेटे और बेटियां हैं, हम सभी को अपने देश से प्यार करना चाहिए और पारस्परिक प्रेम और सद्भावना पर अपनी नियति का निर्माण करना चाहिए. 

उन्होंने कहा कि सरदार पटेल का यह कथन आज भी हमारे नये भारत के दृष्टिकोण के लिए प्रेरक है, प्रासंगिक हैं और यही कारण है कि उनका जन्मदिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की जयंती के अवसर पर देशभर में 'रन फॉर यूनिटी' का आयोजन किया जाएगा, जिसमें बच्चे, युवा, महिलाएं, सभी आयु-वर्ग के लोग शामिल होंगे. उन्होंने सभी लोगों से इसमें भाग लेने की अपील की.

31 अक्टूबर को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि है. मोदी ने इसका जिक्र करते हुए कहा कि 31 अक्टूबर को इंदिरा गांधी यह दुनिया छोड़ कर चली गई थीं.

'गुरू नानक के सच्ची मानवता के मार्ग पर देश आगे बढ़ें'

प्रधानमंत्री ने गुरु नानक देव की जयंती पर देशवासियों को बधाई देते हुए उनका आह्वान किया कि जगद्गुरू के जातीय समानता और महिला सशक्तीकरण के संदेश को अपना कर समाज और मानवता के कल्याण के मार्ग पर चलें.  मोदी ने कहा कि गुरु नानक देव सिक्खों के पहले गुरु ही नहीं बल्कि वह जगद्गुरु हैं. आने वाले वर्ष 2019 में, हम गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश वर्ष मनाने जा रहे हैं. इस मौके पर हम उनके सन्देश और शिक्षा के मार्ग पर आगे बढ़ने की कोशिश करें.

प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरूनानक ने 28 हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा करके सच्ची मानवता का सन्देश दिया था. उन्होंने पूरी मानवता के कल्याण के बारे में सोचा. गुरु नानक देव ने सभी जातियों को एक समान बताते हुए समाज में समानता का सन्देश दिया और महिला सशक्तिकरण और नारी सम्मान पर जोर दिया था. 

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने लोगों को सच्चाई, त्याग और कर्म-निष्ठा का मार्ग दिखाया और इसे बातों से ही नहीं, बल्कि करके दिखाया. उन्होंने लंगर चलाया जिससे लोगों में सेवा-भावना पैदा हुई तथा इकट्ठे बैठकर लंगर ग्रहण करने से लोगों में एकता और समानता का भाव जागृत हुआ. उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव ने सार्थक जीवन के तीन सन्देश दिए- परमात्मा का नाम जपो, मेहनत करो-काम करो और जरूरतमंदों की मदद करो. गुरु नानक देव ने अपनी बात कहने के लिए‘गुरबाणी’की रचना भी की.

भगिनी निवेदिता ने भारतीय संस्कृति के गौरव को फिर से स्थापित किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नि:स्वार्थ भाव से मानवता की सेवा करने वाले असाधारण लोगों में भगिनी निवेदिता के नाम को प्रमुख बताते हुए यहां कहा कि उन्होंने न केवल भारतीय संस्कृति के गौरव को फिर से स्थापित किया बल्कि विभिन्न देशों में सनातन धर्म और दर्शन के बारे में किए जा रहे दुष्प्रचारों के खिलाफ आवाज़ भी उठाई.
          
प्रधानमंत्री ने कहा कि भगिनी निवेदिता स्वामी विवेकानंद से इतनी प्रभावित हुई कि अपने सारे सुख वैभव को छोड़कर अपना जीवन गरीबों की सेवा में समर्पित कर दिया. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी राज में होने वाले अत्याचारों से वह काफी आहत थीं.
        
मोदी ने कहा कि अंग्रेज़ों ने, न सिर्फ हमारे देश को गुलाम बनाया था बल्कि उन्होंने हमें मानसिक रूप से भी गुलाम बनाने का प्रयास किया था. हमारी संस्कृति को नीचा दिखा कर हम में हीन-भावना पैदा करने का काम निरंतर किया गया. भगिनी निवेदिता ने भारतीय संस्कृति के गौरव को पुन: स्थापित किया.

उन्होंने राष्ट्रीय-चेतना जागृत कर लोगों को एकजुट करने का काम किया. उन्होंने दूसरे देशों में जाकर सनातन धर्म और दर्शन के बारे में किए जा रहे दुष्प्रचारों के खिलाफ आवाज़ उठाई.
        
प्रसिद्ध राष्ट्रवादी एवं तमिल कवि सुब्रह्मण्यम भारती अपनी क्रांतिकारी कविता  पुदुमई पेन्न  और महिला सशक्तिकरण के लिए विख्यात रहे हैं. ऐसा कहा जाता है कि उनकी प्रेरणा भगिनी निवेदिता ही थीं. उन्होंने  महान वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बसु का भी सहयोग किया. उन्होंने अपने लेखों और सम्मेलनों के माध्यम से बसु के शोध के प्रकाशन एवं प्रचार में सहायता की.
        
उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में आध्यात्मिकता और विज्ञान, एक दूसरे के पूरक हैं. सिस्टर निवेदिता और वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बसु इसके सशक्त उदाहरण हैं. 1899 में, कलकत्ता में प्लेग फैला और कई लोगों की जाने चली गई. तब भगिनी निवेदिता ने अपने स्वास्थ्य की चिंता किए बिना, नालियों और सड़कों पर काम आरंभ कर दिया.
         
गौरतलब है कि कल भगिनी निवेदिता की 150वीं जयंती थी.
 

कभी राज-रोग रहा मधुमेह अब जीवन शैली से जुड़ी बीमारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कभी विलासितापूर्ण जीवन जीने वालों को होने की वजह से राज-रोग कहलाने वाला मधुमेह आज जीवन शैली से जुड़ी बीमारी बन चुका है जिससे बचाव के लिए लोगों को अपनी दिनचर्या में योग एवं व्यायाम को शामिल करना चाहिए.
    
मोदी ने एक डॉक्टर द्वारा बच्चों में मधुमेह की बीमारी पर ध्यान आकषिर्त किये जाने पर प्रधानमंत्री ने इस पर संज्ञान लेते हुए योग को इसके उपाय के रूप में सुझाया.
    
उन्होंने कहा कि पहले जो बीमारियाँ बड़ी उम्र में, जीवन के अंतिम पड़ाव के आस-पास होती थीं - वह आजकल बच्चों में भी दिखने लगी हैं. बच्चों में मधुमेह सुनकर आश्चर्य होता है.
    
प्रधानमंत्री ने कहा, पहले ऐसे रोगों को राज-रोग कहा जाता था क्योंकि ऐसी बीमारियाँ केवल संपन्न लोगों को, ऐश-ओ-आराम की जिंदगी जीने वालों को ही होती थीं. लेकिन हमारा लाइफ-स्टाइल बदल गया है. इन बीमारियों को लाइफ-स्टाइल डिस्ऑर्डर के नाम से जाना जाता है.  
    
शारीरिक श्रम में कमी और खान-पान में बदलाव को कम उम्र में इन बीमारियों की वजह बताते हुए मोदी ने सलाह दी कि परिजन जागरूकता के साथ यह सुनिश्चित करें कि बच्चे, खुले मैदानों में खेलने की आदत डालें. संभव हो तो परिवार के बड़े लोग भी बच्चों के साथ खुले में जाकर कर खेलें. बच्चों को लिफ्ट की बजाय सीढ़ियाँ चढ़ने की आदत डालें. रात में भोजन के बाद टहलने की कोशिश करें.
    
योग को दिनचर्या का हिस्सा बनाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, योग, विशेष रूप से हमारे युवा मित्रों को एक स्वस्थ जीवनशैली बनाये रखने और इससे संबंधी बीमारियों से बचाने में मददगार होगा. स्कूल से पहले 30 मिनट का योग, देखिए कितना लाभ देगा. 
    
यौगिक क्रिया की सरलता की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, योग की विशेषता यही है कि वह सहज है, सरल है, सर्व-सुलभ है. मैं सहज इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि किसी भी उम्र का व्यक्ति आसानी से योग कर सकता है. 
    
उन्होंने कहा कि सरल इसलिए है कि इसे आसानी से सीखा जा सकता है और सर्व-सुलभ इसलिए है कि कहीं पर भी किया जा सकता है - विशेष उपकरण या मैदान की ज़रूरत नहीं होती है.

मधुमेह पर योग के प्रभाव के संबंध में हो रहे अध्ययनों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, इसपर एम्स में भी अध्ययन चल रहा है. अभी तक जो परिणाम आये हैं, वह बहुत उत्साहित करने वाले हैं. 
    
उन्होंने लोगों से अपील की कि आयुर्वेद और योग को हम सिर्फ उपचार के माध्यम के तौर पर न देखें, उन्हें हम अपने जीवन का हिस्सा बनाएं.
    
दरअसल कार्यक्रम के दौरान होने वाले एक फोनकॉल में डॉक्टर पार्थ शाह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कहा था कि 14 नवम्बर को हम बाल दिवस के रूप में मनाते हैं क्योंकि वह हमारे पहले प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरू का जन्म दिन है. उसी दिन वि मधुमेह दिवस भी मनाया जाता है.. मधुमेह केवल बड़ों का रोग नहीं है, वह कई बच्चों में भी पाया जाता है. तो इस चुनौती के लिए हम क्या कर सकते हैं?
    
मोदी ने बच्चों को बाल दिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि बच्चे नए भारत के निर्माण के सबसे महत्वपूर्ण नायक हैं.

हॉकी, बैडमिंटन में जीत के लिए खिलाड़ियों को दी बधाई

एशिया कप में भारतीय हॉकी टीम और डेनमार्क ओपन में किदाम्बी श्रीकांत की जीत पर उन्हें बधाई देते हुए पीएम ने देश में फीफा आयोजन के बाद फुटबॉल के भविष्य को उज्ज्वल बताया.

मोदी ने कहा कि खेल के क्षेत्र में पिछले दिनों अच्छी खबरें आई हैं. अलग-अलग खेल में हमारे खिलाड़ियों ने देश का नाम रोशन किया है. हॉकी में भारत ने शानदार खेल का प्रदर्शन कर एशिया कप हॉकी का खिताब जीता है. हमारे खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और इसी के बल पर भारत दस साल बाद एशिया कप चैम्पियन बना है. इससे पहले भारत 2003 और 2007 में एशिया कप चैम्पियन बना था. मोदी ने कहा, पूरी टीम और स्पोर्ट स्टाफ को मेरी तरफ से, देशवासियों की तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं. 

डेनमार्क ओपन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, बैडमिंटन स्टार किदाम्बी श्रीकांत ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए डेनमार्क ओपन का खिताब जीतकर हर भारतीय को गौरव से भर दिया है. उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया ओपन और ऑस्ट्रेलिया ओपन के बाद यह उनका तीसरा सुपर सीरीज प्रीमियर खिताब है. मैं, हमारे युवा साथी को उनकी इस उपलब्धि के लिए और भारत के गौरव को बढ़ाने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं. 

प्रधानमंत्री ने फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप और उसमें भारतीय खिलाड़ियों के प्रदर्शन और एक मैच का अपना अनुभव साझा किया. उन्होंने कहा कि इसी महीने फीफा अंडर-17 वर्ल्ड कप का आयोजन हुआ. विश्वभर की टीमें भारत आयीं और सभी ने फुटबॉल के मैदान पर अपना कौशल दिखाया. उन्होंने कहा, मुझे भी एक मैच में जाने का मौका मिला. खिलाड़ियों, दर्शकों सभी में भारी उत्साह था. 

उन्होंने कहा, भले ही, भारत खिताब नहीं जीत पाया लेकिन भारत के युवा खिलाड़ियों ने सभी का दिल जीत लिया. भारत समेत पूरे विश्व ने खेल के इस महोत्सव का लुत्फ उठाया. यह पूरा टूर्नामेंट फुटबॉल प्रेमियों के लिए रोचक और मनोरंजक रहा. देश में फुटबॉल का भविष्य बहुत उज्ज्वल है, इसके संकेत नजर आने लगे हैं. 

'भारत ने हमेशा शांति का संदेश दिया'

पीएम ने कहा कि भारत ने हमेशा शांति, एकता और सद्भाव का संदेश दिया है और हमारे सशस्त्र बल दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र मिशनों के माध्यम से इस दिशा में योगदान देते रहे हैं.
उन्होंने कहा कि वर्तमान में करीब 7,000 भारतीय सुरक्षा कर्मी शांतिरक्षण मिशनों में तैनात हैं और यह शांतिरक्षण अभियानों में तीसरा सबसे बड़ा योगदान है.

मोदी ने सुरक्षा बलों के साथ कश्मीर के गुरेज सेक्टर में मनाई गई दिवाली को याद करते हुए कहा कि हमारे जवान, न सिर्फ हमारी सीमाओं पर, बल्कि विश्वभर में शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. उन्होंने कहा कि 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस मनाया गया और संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है. भारत ने हमेशा शांति, एकता और सद्भाव का संदेश दिया है और हमारे सशस्त्र बल दुनिया भर में संयुक्त राष्ट्र मिशनों के माध्यम से इस दिशा में योगदान देते रहे हैं.

मोदी ने कहा कि अब तक 18 हज़ार से अधिक भारतीय सुरक्षा-बलों ने संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षण अभियानों में अपनी सेवाएं दी हैं. उन्होंने कहा कि अगस्त 2017 तक भारतीय जवानों ने संयुक्त राष्ट्र के विश्वभर के 71 शांतिरक्षण अभियानों में से लगभग 50 अभियानों में अपनी सेवाएं दी हैं. उन्होंने कहा कि ये अभियान कोरिया, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम, कांगो, साइप्रस, लाइबेरिया, लेबनान, सूडान सहित कई देशों में चले हैं.  उन्होंने कहा कि आपको सुन कर गर्व होगा कि भारत की भूमिका सिर्फ शांतिरक्षण अभियान तक ही सीमित नहीं है बल्कि भारत लगभग 85 देशों के शांतिरक्षकों को प्रशिक्षण देने का भी काम कर रहा है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि कांगो और दक्षिण सूडान में भारतीय सेना के अस्पताल में 20 हज़ार से अधिक रोगियों का इलाज़ किया गया है और अनगिनत लोगों को बचाया गया है. उन्होंने कहा कि बहुत कम लोग इस बात को जानते होंगे कि भारत पहला देश था जिसने लाइबेरिया में संयुक्त राष्ट्र के शांति-अभियान मिशन में महिला पुलिस इकाई भेजी थी और भारत का यह कदम विभर के देशों के लिए प्रेरणासोत बन गया. इसके बाद, सभी देशों ने अपनी-अपनी महिला पुलिस इकाइयों को भेजना प्रारंभ किया.

उन्होंने कहा कि भारत के संविधान की प्रस्तावना और संयुक्त राष्ट्र चार्टर की प्रस्तावना, दोनों वी द पीपुल शब्दों के साथ शुरू होती है. भारत ने नारी समानता पर हमेशा ज़ोर दिया है और यूएन डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स इसका जीता-जागता प्रमाण है. अपने संबोधन में उन्होंने कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया को याद किया जिन्होंने अफ्रीका के कांगो में शांति के लिए लड़ते हुए, अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था. उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.

प्रधानमंत्री ने कहा कि लेफ्टिनेंट जनरल प्रेमचंद जी उन शांतिरक्षकों में से एक हैं जिन्होंने साइप्रस में विशिष्ट पहचान बनाई. 1989 में, 72 वर्ष की आयु में उन्हें नामीबिया में अभियान के लिए फोर्स कमांडर बनाया गया और उन्होंने उस देश की आज़ादी सुनिश्चित करने के लिए अपनी सेवाएं प्रदान की. उन्होंने कहा कि जनरल थिमैय्या, जो भारतीय सेना के भी प्रमुख रहे, ने साइप्रस में संयुक्त राष्ट्र शांति बल का नेतृत्व किया और शांति कार्यों के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया.

'खादी गरीबों के जीवन में बदलाव लाने का बना जरिया'

प्रधानमंत्री ने कहा कि खादी और हैंडलूम क्षेत्र अब बुनकरों और गरीबों के जीवन में आमूलचूल बदलाव लाने का जरिया बन गया है.

उन्होंने कहा, कभी‘खादी फॉर नेशन’ और‘खादी फॉर फैशन’ रहा. यह क्षेत्र अब बुनकरों और गरीबों के जीवन में बदलाव लाने में अहम भूमिका निभा रहा है. मोदी ने कहा कि इस वर्ष दीपावली में खादी और हैंडलूम के उत्पादों की जबर्दस्त बिक्री हुई जिसका फायदा बुनकरों और गरीबों को मिला है.

'छठ में उनको भी पूजने का संदेश निहित है जिनका डूबना तय है'

मोदी ने कहा कि दुनिया सिर्फ उगते सूर्य को नमस्कार करती है लेकिन आस्था के महापर्व छठ में उनको भी पूजने का संदेश दिया जाता है जिनका डूबना निश्चित है.

उन्होंने कहा कि दीपावली के छह दिन बाद मनाया जाने वाला महापर्व छठ काफी नियम, निष्ठा से मनाए जाने वाले त्योहारों में शामिल है. इसमें खान-पान से लेकर वेश भूषा तक सबमें पारंपरिक नियमों का पालन किया जाता है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस महापर्व के केंद्र में सूर्य और जल हैं वहीं पूजन विधि से जुड़ी अन्य सामग्रियां बांस और मिट्टी के बने बर्तन आदि हैं.

उन्होंने कहा कि दुनिया सिर्फ उगते सूर्य को नमस्कार करती है लेकिन आस्था के महापर्व छठ में उनको भी पूजने का संदेश दिया जाता है जिनका डूबना निश्चित है. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे जीवन में स्वच्छता के महत्व की अभिव्यक्ति भी इस त्योहार में समाई हुई है. छठ से पहले पूरे घर की सफाई, साथ ही नदी, तालाब, पोखर के किनारे, पूजा-स्थल यानि घाटों की भी सफाई, पूरे जोश से सब लोग मिल करके करते हैं. सूर्य वंदना या छठ-पूजा - पर्यावरण संरक्षण, रोग निवारण व अनुशासन का पर्व है. 

उन्होंने कहा कि आम तौर पर लोग कुछ मांगकर लेने को हीन-भाव से देखते हैं लेकिन छठ-पूजा में सुबह के अर्घ्य के बाद प्रसाद मांगकर खाने की एक विशेष परम्परा रही है. प्रसाद मांगने की इस परम्परा के पीछे यह मान्यता भी बतायी जाती है कि इससे अहंकार नष्ट होता है. एक ऐसी भावना जो व्यक्ति की प्रगति के राह में बाधक बन जाती है. भारत की इस महान परम्परा के प्रति हर किसी को गर्व होना बहुत स्वाभाविक है.

 

भाषा/वार्ता


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