प्रधानमंत्री मोदी हुमायूं को शरण देने वाले गांव में पहुंचे, रखी शौचालय की आधारशिला

Last Updated 23 Sep 2017 05:10:54 PM IST

साढ़े चार सौ साल पहले शहंशाह हुमायूं यहां रुके थे जिससे गांव का नाम शहंशाहपुर पड़ा था. आज शहंशाहपुर एक बार फिर शोहरत से रूबरू हुआ जब उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेजबानी की.


हुमायूं को शरण देने वाले गांव में प्रधानमंत्री मोदी (फाइल फोटो)

मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी से करीब 30 किलोमीटर दूर इस गांव का इतिहास से वास्ता रहा है. अनुश्रुति है कि इस गांव का नाम शहंशाह हुमायूं के नाम पर पड़ा जिसने 450 साल से भी अधिक समय पहले शेरशाह सूरी के साथ अपनी लड़ाई के बाद यहां एक वृद्धा की झोपड़ी में शरण ली थी.

आज शहंशाहपुर ने प्रधानमंत्री ने मेजबानी की, जिन्होंने आज यहां 'पशु आरोग्य मेला' का उद्घाटन किया. यहां पहली बार पशु मेले का आयोजन किया गया है.

प्रधानमंत्री ने गांव में स्वच्छ भारत अभियान के तहत एक शौचालय की आधारशिला रखी.  इस मौके पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे भी मौजूद थे.

भाजपा के सहयोगी 'अपना दल' के स्थानीय विधायक नीलरतन पटेल नीलू ने कहा,  प्रधानमंत्री की यात्रा से ग्रामीणों को इतिहास याद करने की वजह मिल गयी.  



इतिहास यह है कि चौसा की लड़ाई में शेरशाह सूरी के हाथों पराजित होने के बाद देर रात गंगा पार कर हुमायूं इसी गांव में पहुंचे थे. तब एक वृद्धा ने उन्हें शरण थी. वृद्धा को पता नहीं था कि उसके यहां ठहरने वाला कोई और नहीं बल्कि हूमायूं हैं.

सालों बाद जब हुमायूं के सैनिक इस गांव का पता लगाने में सफल रहे तब ग्रामीणों को पता चला कि तब कौन ठहरा था. हूमायूं की जब सत्ता बहाल हुई तब उन्होंने इस वृद्धा को धन्यवाद कहने के लिए अपने सैनिकों को भेजा. लेकिन तबतक वह बुढिया गुजर चुकी थी.

तभी कालूपुर गांव का नाम बदल कर शहंशाहपुर कर दिया गया.

भाषा


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