विमान में अभद्र व्यवहार किया तो लग सकता है आजीवन प्रतिबंध
शिवसेना सांसद रविंद्र गायकवाड़ द्वारा एयर इंडिया के एक कर्मचारी को चप्पल से पीटने के मामले के परिप्रेक्ष्य में‘नो फ्लाई सूची’के लिए नियम आज से प्रभाव में आ गये हैं. इसमें अभद्र व्यवहार करने वाले यात्रियों पर तीन महीने से लेकर आजीवन तक यात्रा प्रतिबंध का प्रावधान है.
![]() नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू (फाइल फोटो) |
नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने आज बताया कि यात्रियों की अभद्रता के तीन स्तर तय किये गये हैं और उसी के अनुरूप प्रतिबंध की अवधि निर्धारित की गयी है. पहले स्तर में साथी यात्री या चालक दल के सदस्यों के साथ मौखिक अभद्रता, दूसरे स्तर में शारीरिक अभद्रता एवं हमला तथा तीसरे स्तर में जानलेवा या विमान एवं उसके उपकरण को नुकसान पहुँचाने वाले व्यवहार को रखा गया है. इनके लिए दोषी यात्री को क्रमश: तीन महीने, छह महीने और कम से दो साल (अधिकतम आजीवन) प्रतिबंधित करने का प्रावधान है.
राजू ने कहा कि नियमों के प्रावधान में यात्रियों, चालक दल के सदस्यों और विमान सेवा कंपनियों, सभी के हितों का ध्यान रखा गया है. उन्होंने कहा कि नियमों के प्रारूप जारी किये जाने के बाद से ही इस संबंध में कई सलाह मिले. यह पहला मौका है जब दुनिया के किसी देश में विशुद्ध रूप से सुरक्षा के आधार पर‘नो फ्लाई सूची’तैयार की गयी है और इसलिए पूरी प्रक्रिया में कुछ ज्यादा समय लगा है.
नागर विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने बताया कि ‘नो फ्लाई सूची’ में विमान सेवा कंपनियों द्वारा संरक्षा के लिहाज से खतरनाक यात्रियों के अलावा सुरक्षा एजेंसियों द्वारा भेजे गये यात्रियों की सूची भी शामिल होगी. यह सूची नागर विमानन महानिदेशालय की वेबसाइट पर उपलब्ध होगी. सुरक्षा एजेंसियों द्वारा चिन्हित यात्रियों पर प्रतिबंध लगाना हर एयरलाइन के लिए जरूरी होगा. विमान सेवा कंपनी की अनुशंसा पर शामिल नामों के लिए यात्री पर प्रतिबंध लगाना अन्य घरेलू तथा विदेशी विमान सेवा कंपनियों के लिए वैकल्पिक होगा. यदि कोई यात्री एक ही स्तर का दुर्व्यवहार दोबारा करता है तो उस पर पहले के मुकाबले दोगुनी अवधि का प्रतिबंध लगाया जायेगा.
नागर विमानन सचिव राजीव नयन चौबे ने बताया कि‘नो फ्लाई सूची’में नाम डालने के लिए अनुशंसा का अधिकार उड़ान के पायलट इन कमांड के पास होगा. इसके बाद विमान सेवा कंपनी की एक आंतरिक समिति तीन दिन के अंदर इस शिकायत पर अपना फैसला सुनायेगी. इस समिति के अध्यक्ष सेवानिवृत्त जिला या सत्र न्यायाधीश होंगे. समिति का एक सदस्य किसी दूसरी विमान सेवा कंपनी से और एक अन्य किसी यात्री अथवा उपभोक्ता संघ का सदस्य या उपभोक्ता फोरम का सेवानिवृत्त अधिकारी होगा.
समिति का फैसला आने तक संबंधित एयरलाइन चाहे तो यात्री पर प्रतिबंध लगा सकती है. यदि समिति 30 दिन के अंदर फैसला नहीं कर पाती है तो उस स्थिति में यात्री को निर्दोष मान लिया जायेगा. इस समिति के फैसले के खिलाफ अपील का अधिकार यात्री को होगा. अपील की सुनवाई एक उच्चतर समिति करेगी जिसके अध्यक्ष उच्च न्यायालय के सेवा निवृत्त न्यायाधीश होंगे. इसके एक सदस्य यात्री अथवा उपभोक्ता संघ के प्रतिनिधि या उपभोक्ता फोरम के सेवानिवृत्त सदस्य होंगे. एक अन्य सदस्य एयरलाइन के उपाध्यक्ष या इससे ऊपर स्तर के अधिकारी होंगे. इस समिति का निर्णय अंतिम माना जायेगा तथा इसे उच्चतम न्यायालय से नीचे चुनौती नहीं दी जा सकेगी.
श्री चौबे ने इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि समिति के पास घटना वाली उड़ान के चालक दल के सदस्यों के साथ उस उड़ान के अन्य यात्रियों को भी पूछताछ के लिए बुलाने का अधिकार होगा. उन्होंने कहा कि टोक्यो समझौते के तहत विदेशी विमान सेवा कंपनियाँ भी चाहे तो‘नो फ्लाई सूची’वाले यात्रियों को प्रतिबंधित कर सकती हैं.
राजू ने कहा कि यदि कोई यात्री चालक दल के सदस्यों का व्यवहार अभद्र पाता है तो वह पायलट इन कमांड से इसकी शिकायत दर्ज कराने का अनुरोध कर सकता है या ‘एयर सेवा’पर शिकायत कर सकता है.
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