विपक्ष को डर, अगले साल न लोस चुनाव करा लें मोदी

Last Updated 24 Aug 2017 04:10:52 AM IST

विपक्ष को ये भय सता रहा है कि कहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समय से पूर्व 2018 में ही लोकसभा चुनाव न करा लें.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (file photo)

भय की ये वजह है कि एक तो विपक्ष अभी पूरी तरह एकजुट नहीं हुआ है दूसरा चुनाव को लेकर उसकी कोई तैयारी भी नहीं है. चिंता इस वजह से भी है कि तृणमूल कांग्रेस नेता ममता बनर्जी को छोड़कर बाकी विपक्षी दल अपने-अपने राज्यों में कमजोर हैं.
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की अपनी हालत सबसे पतली है. उसे दो सालों के भीतर गुजरात, हिमाचल, राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में चुनाव लड़ना है, जहां उसका सीधा मुकाबला भाजपा से ही होना है.

संगठन की खामियों के चलते कांग्रेस को राज्यों के चुनाव लड़ने में दिक्कतें आ रही हैं और वो लोकसभा का चुनाव समय से पूर्व किसी भी हालत में नहीं चाहती. कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष ये मानता है कि मोदी सरकार ने अच्छे दिन भले ही नहीं दिखाए हों पर जनता अभी उससे नाराज नहीं हुई है. यानी सत्ता विरोधी हवा नहीं है.

राजनीतिक दल जानते हैं कि जब सत्ता विरोधी हवा नहीं चल रही हो, तब विरोधियों के लिए संभावनाएं कम ही रहती हैं. लोकसभा की सर्वाधिक सीट वाले उत्तरप्रदेश को ही लें तो वहां अभी सपा और बसपा, दोनों कमजोर हैं. हाल ही में भाजपा ने विधानपरिषद सदस्यों को तोड़कर दोनों में गहरी सेंध भी लगा दी है.

वहीं, सपा नेता अखिलेश यादव और मायावती की दोस्ती का रोड मैप भी नहीं बन सका है. बिहार की बात की जाए तो नीतीश कुमार को भाजपा के अपने पाले में लेने के बाद वहां विपक्ष की संभावनाएं काफी घट गई हैं. कारण नीतीश के साथ ने भाजपा को मजबूती प्रदान की है. राजनीतिक विश्लेषक इस तरह की बातें अवश्य कर रहे हैं कि नीतीश ने भाजपा के साथ जाकर मुस्लिम वोट खो दिया है.

हालांकि वो इसकी बहस नहीं कर रहे हैं कि अभी नीतीश को मुस्लिम वोट की जरूरत नहीं है. महाराष्ट्र में भी कांग्रेस और एनसीपी के बीच संबंध मधुर नहीं चल रहे हैं, इसलिए ये कहना जल्दबाजी ही होगा कि वो मिलकर चुनाव लड़ेंगे.
भाजपा ने जिस तरह से आंध्र प्रदेश में तेलगू देशम, तेलंगाना में टीआरएस व तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक से रिश्ते अच्छे बनाये हैं, उसके मद्देनजर दक्षिण भारत में भी एनडीए का पलड़ा भारी हो गया है. कर्नाटक में अवश्य मुकाबला त्रिकोणीय रहेगा. जद (एस) नेता एचडी देवेगौड़ा कांग्रेस के साथ मिलकर शायद ही चुनाव लड़ें.

हाल में जद (एस) के कुछ विधायकों को कांग्रेस में शामिल करने की हरकत से देवेगौड़ा खफा भी हैं. भाजपा ने अगले लोस चुनाव के लिए 350 से अधिक सीटों का लक्ष्य रखा है और अमित शाह देशव्यापी दौरा कर रहे हैं. उनका इस दौरे में साफ कहना है कि चैन से नहीं बैठना है, क्योंकि भाजपा को अपना सर्वश्रेष्ठ देना है. ये संकेत विपक्ष को जल्द चुनाव के लगते हैं, इसलिए उसके खेमे में खलबली है.

कुणाल
समयलाइव डेस्क


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