टीम मोदी में फेरबदल अब कभी भी, जदयू को दो व अन्नाद्रमुक को मिल सकते हैं चार मंत्रिपद
मोदी कैबिनेट का बहुप्रतीक्षित विस्तार इसी हफ्ते तय माना जा रहा है. सरकार और भाजपा संगठन को और अधिक धारदार बनाने के लिए कुछ मंत्रियों को संगठन में भेजा जा सकता है जबकि कुछ भाजपा नेताओं को कैबिनेट में जगह मिल सकती है.
![]() प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (फाइल फोटो) |
चुनावी मोड में आ चुकी भाजपा के लिए माना जा रहा है कि यह कैबिनेट विस्तार आखिरी होगा. बिहार व उत्तर प्रदेश से दो-दो बड़े मंत्री हटाए जा सकते हैं. राजग का हिस्सा बन चुके जदयू से एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री को शामिल किया जाएगा, जबकि अन्नाद्रमुक के राजग में शामिल होने के साथ ही उसे चार मंत्रिपद मिल सकते हैं.
शाह ने मंत्रियों से की मंत्रणा
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जिस तरह अपना तमिलनाडु दौरा स्थगित किया और सोमवार की शाम दिल्ली में केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह, राजीव प्रताप रूडी और उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की, उससे यही माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में फेरबदल को अंतिम रूप दिया जा रहा है. श्री शाह को 22 से 24 अगस्त तक तमिलनाडु में रहना था. सूत्रों की मानें तो 25 अगस्त तक मोदी कैबिनेट का विस्तार हो जाएगा.
हटाए जा सकते हैं नॉन परफार्मर
सूत्रों का कहना है कि नॉन परफार्मिंग मंत्रियों को हटाया जाएगा, जिसमें बिहार के दो और यूपी के दो मंत्री हैं. इसके अलावा अमित शाह ने जिन मंत्रियों को 2019 का चुनाव जीतने की जिम्मेदारी सौंपी है, उनमें से कुछ को हटाया जा सकता है. मानसून सत्र के बाद कैबिनेट विस्तार की अटकलें लगाई जा रही थीं, क्योंकि मनोहर पर्रिकर के गोवा के मुख्यमंत्री बनने और वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने और अनिल के निधन के बाद चार अहम मंत्रालय अतिरिक्त प्रभार के रूप में हैं.
भाजपा और एनडीए का विस्तार करने के सिलसिले में भाजपा का दक्षिण की तरफ बढ़ना अहम है. बिहार के बाद तमिलनाडु भी एनडीए शासन में आ जाएगा. अन्नाद्रमुक को एनडीए में शामिल करने के बाद उसके कोटे से कम से कम चार मंत्री बनाए जा सकते हैं. क्योंकि लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर उसके करीब 50 सदस्य हैं. इस बार एनडीए सहयोगियों को संसद में उनकी संख्या या हैसियत के हिसाब से भरपूर जगह मिलेगी. सूत्रों के अनुसार अन्नाद्रमुक को दो कैबिनेट और दो राज्यमंत्री मिल सकते हैं. पार्टी की तरफ से थंबीदुरई और मैत्रेयन को कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की सिफारिश की जा सकती है. तेदेपा कोटे से एक राज्यमंत्री बन सकता है. शिवसेना को एक राज्यमंत्री मिल सकता है. शिवसेना के चंद्रकांत खैरे या आनंद राव अडसुल को लोकसभा में थंबीदुरई की जगह डिप्टी स्पीकर बनाया जा सकता है.
लोकसभा सांसद और नीतीश कुमार के करीबी कौशलेंद्र सिंह, आरसीपी सिंह में से एक कैबिनेट और एक राज्यमंत्री बन सकता है. शरद यादव का दामन छोड़ नीतीश का साथ देने के लिए केसी त्यागी को भी मंत्री के रूप में लिए जाने की चर्चा है, लेकिन वे किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. वरिष्ठ मंत्री कलराज मिश्र को बिहार का राज्यपाल बनाए जाने की चर्चा है.
75 पार कर चुके मंत्री को पिछले फेरबदल में भी हटाने की चर्चा थी, लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए नहीं हटाया गया था. दूसरी काबीना मंत्री की तबीयत खराब रहने को वजह बताया जा रहा है. वैसे भी जल संसाधन मंत्री उमा भारती के परफॉरमेंस से प्रधानमंत्री के खुश नहीं होने की बात पहले से ही मानी जा रही है. उनको भी राज्यपाल बनाया जा सकता है.
विधानसभा चुनाव की भी ध्यान
इस बार मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से एक-एक मंत्री बनाया जा सकता है. कर्नाटक से भी एक राज्यमंत्री बनाया जा सकता है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मंत्री बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है. असम से एक मंत्री बन सकता है. सोनोवाल के बाद असम से कोई मंत्री नहीं है, जबकि अगले लोकसभा में पार्टी पूरे उत्तर-पूर्व में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद रखे हुए है.
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