भारत के डॉक्टरों का कमाल! 500 किलो की लड़की दो महीने में 176 किलो की हुुई
अगर हम आपसे पूछें कि सर्च इंजन पर सबसे ज्यादा सर्च किए जाने वाले सवाल क्या हैं तो आपका एक जवाब 'जल्द से जल्द वजन कम कैसे करें' भी होगा. औरों के लिए ये नुस्खे कितने कारगर होते हैं ये तो अलग मुद्दा है लेकिन 36 साल की 500 किलो वाली इमान अहमद का वजन ऐसा नहीं था कि वह इसका जवाब किसी सर्ज इंजन पर खोजें.
![]() इमान अहमद (फाइल फोटो) |
इमान अहमद और डॉ मुफ्फजल लकड़ावाला अब एक ऐसा नाम बन चुके हैं जिसे शायद ही कोई न जानता हो. इमान अहमद को जानने के पीछे उनका कोई कारनामा नहीं बल्कि उनका वजन बना. वहीं डॉ लकड़ावाला ने ऐसा चमत्कार कर दिखाया जिसे सब नामुमकिन मान रहे थे.
मिस्र की इमान के लिए उनका वजन जानलेवा बन चुका था और फिर उन्हें एक नई किरण दिखाई भारत के डॉक्टर मुफ्फजल लकड़ावाला और उनकी 16 डॉक्टरों की टीम ने. करीब 2 महीने पहले (फरवरी में) दुनिया की सबसे अधिक वजन वाली महिला इमान को इलाज के लिए मुंबई के सैफी अस्पताल लाया गया था.
इन दो महीनों में डॉ लकड़ावाला की टीम ने 500 किलोग्राम की इमान का वजन 324 किलोग्राम तक घटाने में सफलता पाई. वे अब 176 किलो की हो गई हैं और पहले से कहीं बेहतर स्थिति में हैं. यही नहीं जल्द ही उन्हें अबुधाबी ले जाने की तैयारी भी शूरू हो चुकी है. जहां नौ डॉक्टरों की टीम उनकी आगे कि स्थिति पर नजर रखेगी.
पिछले दिनों इमान की बहन शायमा सलीम और डॉ लकड़वाला के बीच विवाद भी सुर्खियों में रहा. फिर दुबई से डॉक्टरों का दल यहां आया जिसने इमान की रिपोर्ट देखी और डॉ. लकड़वाला के साथ बैठक की.
विवाद के बाद शायमा ने आगे के इलाज के लिए इमान को अबुधाबी ले जाने का निर्णय किया.
शायमा का आरोप लगाया है कि उनकी बहन को जहां अभी भी केयर की जरूरत है, वहीं अब अस्पताल उन्हें जबरन डिस्चार्ज कर रह है. डॉक्टर इमान की स्थिति की सही जानकारी नहीं दे रहे हैं.
वहीं लकड़वाला का कहना है कि 15 दिन पहले तक सब कुछ ठीक था. लेकिन जब उन्होंने शायमा से कहा कि इमान अब मिस्र के लिए विमान से जा सकती है तो वह भड़क गईं. उसने धमकी दी कि अगर उन्हें नहीं रहने दिया जाएगा तो वह अस्पताल की छवि खराब कर देगी.
शायमा के इन आरोपों से आहत सैफी अस्पताल की बैरियाट्रिक सर्जरी सेक्शन की चीफ डॉ. अपर्णा गोविल भास्कर ने इस्तीफा तक दे दिया. उन्होंने यहां तक कहा कि
मेडिकल सबसे थैंकलेस जॉब है और वह अपने बेटे को कभी डॉक्टर नहीं बनाएंगी.
उन्होंने कहा, "हमारी टीम का हर एक फीजियोथेरपिस्ट और नर्स दिन-रात एक मरीज की सेवा में लगे रहे. उनकी बहन ने जो आरोप लगाए वे बेबुनियाद हैं, मैं तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देती हूं. मैं जानती हूं मेडीकल सबसे थैंकलेस जॉब है, मैं अपने बेटे को कभी डॉक्टर नहीं बनाऊंगी."
आपको बता दें कि फरवरी में इमान को मिस्र से उनके वजन के चलते कार्गो प्लेन से मुंबई लाया गया था. इमान के इलाज के लिए सैफी हॉस्पिटल में एक स्पेशल कमरा तैयार किया गया. उनके लिए लंदन से स्पेशल बेड मंगवाया गया था जो कि 500 किलो के वजन को झेल सके. जब वह भारत आई थीं तो चलने-बैठने में असमर्थ थी, उन्हें क्रेन के माध्यम से अस्पताल तक लाया गया था.
भारत आने से पहले वह 25 साल से अलेक्जेंड्रिया स्थित अपने घर से बाहर नहीं निकली थीं. अपने भीमकाय आकार की वजह से बिस्तर से उठने या हिलने-डुलने में भी असमर्थ थीं. खान खाने, कपड़े बदलने, यहां तक कि दैनिक कार्यों के लिए वह अपनी मां और बहन शायमा पर ही निर्भर थीं.
मुंबई आने के बाद 7 मार्च 2017 को सैफी हॉस्पिटल में उनकी मोटामा कम करने की बैरियाट्रिक सर्जरी की गई थी और अब उनका वजन 324 किलोग्राम कम हो चुका है. वह पहले से काफी बेहतर स्थिति में हैं.
क्या डॉक्टरों की ये सफलता किसी चमत्कार से कम है? क्या इसके लिए देश के डॉक्टरों की सराहना नहीं होनी चाहिए?
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