पैन कार्ड के लिए आधार जरूरी करने पर क्यों चुप रहे

Last Updated 27 Apr 2017 04:06:13 AM IST

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को सवाल पूछा कि क्यों सांसदों ने सरकार के उस फैसले पर आपत्ति नहीं जताई जिसके जरिए पैन कार्ड बनवाने के लिए आधार को अनिवार्य बनाया गया है.


उच्चतम न्यायालय

इस कदम को ताजा बजट के जरिए एक जुलाई से प्रभावी बनाया जाएगा.

न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा, ‘संसद में 542 लोग बैठे हैं. उन्होंने इसपर क्यों आपत्ति नहीं जताई. अगर वे इसपर आपत्ति नहीं जता रहे हैं, तो हम इसमें क्यों पड़ें.’ जब पीठ से कहा गया कि केंद्र ने पहले शीर्ष अदालत में बयान दिया था कि वह आधार को अनिवार्य नहीं बनाएगी तो पीठ ने कहा, ‘वे इससे बंध नहीं सकते. यह संसद को कोई वैधानिक प्रावधान बनाने से नहीं रोक सकता.’ शीर्ष अदालत तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें आयकर अधिनियम की धारा 139 एए की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है.

धारा 139 एए को नए बजट और वित्त अधिनियम 2017 के जरिए लाया गया. यह आयकर रिटर्न दाखिल करने और पैन नंबर आवंटित करने के लिए आवेदन देने के लिए आधार या आधार के एनरोलमेंट आईडी को बताना इस साल एक जुलाई से अनिवार्य बनाता है. सुनवाई के दौरान पीठ ने यह भी कहा कि भारत में कर चोरी होती है और यह शर्मनाक है कि नागरिक कर नहीं देना चाहते हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि आधार स्वैच्छिक होना चाहिए और चूंकि कर चोरी होती है इसलिए सरकार इस तरह के लीकेज को रोकने के लिए नया कानून बना सकती है.

पीठ ने कहा, ‘हम जानते हैं कि कर चोरी होती है. जब कर चोरी होती है, तो सरकार इन लीकेज को बंद करने के लिए नया कानून ला रही है. हम नागरिक उसे पसंद नहीं करते हैं. यह शर्मनाक है कि हम कर नहीं चुकाना चाहते हैं.’ आधार को आयकर रिटर्न दाखिल करने और पैन के लिए आवेदन करने के लिए अनिवार्य बनाने के केंद्र के रख का बचाव करते हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने देश में 10 लाख फर्जी पैन कार्ड का उल्लेख किया और कहा कि आधार एकमात्र व्यवस्था है जो इनके दोहरीकरण या नकली कार्डों को रोक सकता है.

भाषा


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