ट्रंप का वीजा बम
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रोजाना कुछ न कुछ ऐसा कर रहे हैं, जिससे भारत सरकार और भारतीय निशाने पर आ जाते हैं। ट्रंप आड़ तो अपने देश के युवाओं के रोजगार बढ़ाने की ले रहे हैं, लेकिन हमला भारतीय युवाओं की आकांक्षाओं पर कर रहे हैं।
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अभी अमेरिका से भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत शुल्क का मामला सुलझा भी नहीं है कि ट्रंप ने एच1बी वीजा का बम गिरा दिया है। एच1बी वीजा शुल्क को सालाना 100,000 अमेरिकी डॉलर तक बढ़ा दिया है।
इस कदम से अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों, जिनमें बड़ी संख्या में आईटी से जुड़े हैं, पर गंभीर असर पड़ेगा। भारतीय आईटी कंपनियों के शेयरों में आई गिरावट ने असर की झांकी दिखा दी है। अमेरिका का दावा है कि एच1बी वीजा का बहुत दुरुपयोग होता है।
इसकी शुरुआत उन उच्च कुशल कामगारों को अमेरिका में आने की अनुमति देने के लिए की गई थी, जो उन क्षेत्रों में काम करते हैं, जहां अमेरिकी काम नहीं करते। 100,000 डॉलर के शुल्क के बाद सुनिश्चित होगा कि वास्तव में कुशल लोग ही अमेरिका आएं और अमेरिकी कामगारों का स्थान नहीं लें।
ट्रंप का तर्क है कि रोजगार आधारित ग्रीन कार्ड कार्यक्रम के तहत प्रति वर्ष 281,000 लोगों को अमेरिका में प्रवेश मिलता है, तथा ये लोग औसतन प्रति वर्ष 66,000 अमेरिकी डॉलर कमाते हैं तथा सरकारी सहायता कार्यक्रमों का भारी लाभ उठाते हैं।
हम इसे बंद करने जा रहे हैं। इस कदम का उन भारतीय कर्मचारियों पर गहरा असर पड़ेगा जिन्हें प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियां और अन्य कंपनियां एच1बी वीजा पर नियुक्त करती हैं। ये वीजा तीन साल के लिए वैध होते हैं, जिन्हें तीन साल के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है। आदेश के कुछ घंटों बाद शनिवार को अमेरिका में एच1बी वीजा पर रह रहे भारतीयों में भ्रम व चिंता व्याप गई।
कई भारतीयों ने भारत यात्रा की अपनी योजना रद्द कर दी। जो भारत आए हुए थे उनमें जल्द से जल्द लौटने की मारामारी मच गई। हालांकि बाद में कहा गया कि यह शुल्क नये आवेदकों पर ही लागू होगा। पुराने वीजा धारक प्रभावित नहीं होंगे। कांग्रेस पार्टी अमेरिका के फैसले के बाद प्रधानमंत्री मोदी पर हमलावर हो गई।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने तल्ख टिप्पणी की कि आपके जन्मदिन पर फोन कॉल के बाद आपको जो जवाबी तोहफा मिला है, उससे भारतीय नागरिकों को दुख हुआ है। गले मिलना, खोखले नारे लगवाना और संगीत कार्यक्रम करवाना कोई विदेश नीति नहीं है। हमें अपने हितों के लिए गंभीर होना होगा।
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