योग के मूलतत्व को संरक्षित रखना महत्वपूर्ण है : मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से योग की प्राचीन परंपरा को स्वीकारने का आह्वान करते हुए कहा है कि इसे खारिज करना \'हानिकारक\' हो सकता है.
(फाइल फोटो) |
महाशिवरात्रि के अवसर पर कोयम्बटूर ईशा फाउंडेशन में आदियोगी, भगवान शंकर की 112 फुट ऊंची आवक्ष प्रतिमा का अनावरण करने वाले मोदी ने कहा कि योग की परंपरा का निरंतर विस्तार हो रहा है.
उन्होंने कहा, \'\'आने वाले साल में 10 लाख लोग कम से कम 100-100 लोगों को योग सिखाने का संकल्प लेंगे और अगली महाशिवरात्रि तक यह आंकड़ा कम से कम 10 करोड़ लोगों तक पहुंच जाएगा.\'\'
उन्होंने कहा, \'\'योग प्राचीन है फिर भी आधुनिक है, सतत है फिर भी निरंतर विस्तारित हो रहा है. परंतु योग का मूलतत्व नहीं बदला है. इसके मूलतत्व को संरक्षित रखना महत्वपूर्ण है.\'\'
आध्यात्मिक नेता जग्गी वासुदेव सद्गुरू ने कहा, \'\'यह आवश्यक है कि इस ग्रह की आने वाली पीढ़ियां आस्तिक नहीं, बल्कि साधक हों. तर्क एवं वैज्ञानिक सत्यापन पर खरा नहीं उतरने वाले दर्शन, विचारधारा, आस्थाएं आने वाले वर्षों में स्वत: ध्वस्त हो जाएंगी, आप देखेंगे कि मुक्ति के लिए चाह बढ़ेगी, आदियोगी और योग का विज्ञान बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाएगा.\'\'
प्रधानमंत्री ने यहां \'ईशा फाउंडेशन\' के आश्रम के विशाल परिसर का भी जायजा लिया और वह सूर्यकुंड के 22 फुट गहरे जलाशय पर भी गए.
सदगुरू ने कहा कि देश के तीन और कोनों में भी इसी तरह की प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा.
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