रायगढ़ के आश्रय गृह में क्रूरता की हद: बच्चों से रेप, मल खाने को भी करते थे मजबूर

Last Updated 29 May 2014 09:57:06 PM IST

महाराष्ट्र के रायगढ़ में आदिवासी और गरीब बच्चों के लिए गैरकानूनी तरीके से चलाए जा रहे एक आश्रय गृह में रेप और यातना के स्तब्ध कर देने वाले मामले सामने आए हैं.


बाल आश्रय गृह में बच्चों से रेप, मल खाने को किया मजबूर (फाइल फोटो)

पुलिस ने बताया कि इस सिलसिले में आश्रय गृह के दो अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है.
   
चंद्रप्रभा परमार्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष अजित दाभोलकर और प्रबंधक ललिता टोंडे को मंगलवार को उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब 11 साल के आसपास की उम्र के कुछ बच्चों ने आरोप लगाया कि उन्हें एक-दूसरे के साथ एवं आरोपियों के साथ यौन संबंध कायम करने के लिए मजबूर किया जाता है.
   
यह घटना उस वक्त सामने आई जब आश्रय गृह में रहने वाले एक बच्चे ने अपनी मां को इस बारे में बताया. अपने बच्चे से पूरा वाकया जानने के बाद महिला ने रायगढ़ बाल हेल्पलाइन की मदद ली और फिर हेल्पलाइन ने पुलिस में शिकायत की.
   
इस मामले में शिकायतकर्ता और ‘पुणे चाइल्डलाइन’ से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता अनुराधा सहसबुद्धे ने कहा कि बच्चों को एक-दूसरे के साथ और आरोपियों के साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया जाता था और इस हरकत का वीडियो भी तैयार किया जाता था.
   
अनुराधा ने कहा, ‘‘पीड़ित यदि यौन संबंध बनाने से इनकार करते थे तो उन्हें कुत्ते का मल खाने को मजबूर किया जाता था और कमरे में कैद कर दिया जाता था. उलटियां करने पर उन्हें वे भी खानी पड़ती थीं’’.

करजट पुलिस ने शुरूआती जांच के दौरान पाया कि 11 से 15 साल के बीच के कम से कम पांच बच्चों का यौन उत्पीड़न हुआ है.
   
मुंबई से करीब 60 किलोमीटर दूर करजट तालुका के तकवे गांव में स्थित आश्रय गृह में 4 से 15 साल की उम्र के 32 बच्चे हैं.
   
करजट पुलिस थाने के वरिष्ठ इंस्पेक्टर आर आर पाटिल ने कहा कि ट्रस्ट बगैर जरूरी अनुमति के एक रिहायशी स्कूल के रूप में आश्रय गृह चला रहा था.
   
पाटिल ने बताया, ‘‘उनके पास यह दिखाने के लिए कोई सबूत नहीं है कि आश्रय गृह चलाने के लिए उनके पास जरूरी मंजूरियां हैं. उसे गैर-कानूनी तरीके से चलाया जा रहा था’’.

खबरों के मुताबिक, दोनों आरोपियों ने इलाके के गरीब परिवारों को निशाना बनाया और उन्हें बेहतर शिक्षा के लिए अपने बच्चों को आश्रय गृह में भेजने के लिए सहमत किया’’.
   
गरीब माता-पिता अपने बच्चों को आश्रय गृह में भेजते थे. एक साल में 10 महीने बच्चे आश्रय गृह में रहते थे और गर्मी की छुट्टियों के दौरान दो महीने अपने घर पर बिताते थे. छुट्टियों के दौरान एक बच्चे ने साहस कर अपनी मां को सारी बातें बता दी’’.
   
आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 377, 354, 509 और 342 के अलावा यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण कानून, 2012 (पॉक्सो) की धारा 3, 5 और 7 के तहत मामला दर्ज किया गया है.
   
दोनों आरोपियों को करजट की एक मजिस्ट्रेट अदालत में पेश किया गया जिसने उन्हें 5 जून तक पुलिस हिरासत में भेज दिया.



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment