टेस्ट क्रिकेट : विराट ने भी दिया विराम

Last Updated 14 May 2025 12:46:34 PM IST

अपने 14 साल के टेस्ट कॅरियर में देश को तमाम उपलब्धियां दिलाने वाले विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेकर सभी को स्तब्ध कर दिया है। कुछ दिनों पहले उनके लाल गेंद से अभ्यास करने की खबरें आ रही थीं।


इस फैसले की किसी को उम्मीद नहीं थी। विराट  के संन्यास लेने से एक युग की समाप्ति हो गई है। वह सचिन तेंदुलकर की तरह अपना युग कायम करने में सफल रहे। ऐसा कोई खिलाड़ी अपने कॅरियर को विराम देता है, तो क्रिकेटप्रेमियों के दिल टूटते ही हैं। विराट ने सचिन तेंदुलकर के संन्यास से खाली हुई जगह को भरा था। विराट के संन्यास लेने से खाली हुई जगह को कौन भरेगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा। विराट ने 123 टेस्ट खेल कर इसकी 210 पारियों में 9230 रन बनाए जिनमें 30 शतक शामिल रहे। उनका औसत 46.85 का रहा।

महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने कुछ समय पहले कहा था कि विराट 10,000 टेस्ट रन पूरे करने वाले चौथे भारतीय बनेंगे। इससे पहले गावस्कर, सचिन और द्रविड़ इसे पा चुके हैं  पर वह इस कीर्तिमान से 770 रन दूर रह गए। गावस्कर कहते हैं कि कोई भी खिलाड़ी जब खेलना शुरू करता है तो उसे खेलने में लुत्फ आता है, और यह लुत्फ उसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने तक आता रहता है। लेकिन जब खिलाड़ी का लुत्फ आना बंद हो जाता है, तो वह संन्यास जैसा फैसला करता है। 

गावस्कर कहते हैं कि लुत्फ नहीं आने के कई कारण हो सकते हैं। विराट के साथ भी ऐसा कुछ हुआ होगा। विराट ने इंस्टाग्राम पर संन्यास की घोषणा करते हुए लिखा, टेस्ट क्रिकेट में पहली बार बैगी ब्ल्यू पहने 14 साल हो गए हैं। सच कहूं तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि यह प्रारूप मुझे किस सफर पर ले जाएगा। अब जब मैं खेल के इस प्रारूप से दूर जा रहा हूं, जो आसान नहीं है। मैं इसे अपना सब कुछ दिया और इसने मुझे उम्मीदों से कहीं ज्यादा दिया। मैं हमेशा अपने टेस्ट कॅरियर को मुस्करा के देखूंगा। इसने मुझे परखा, आकार दिया और ऐसे सबक सिखाए जिन्हें जीवन भर साथ रखूंगा। 

सफेद जर्सी में खेलना निजी अनुभव होता है। यह शांत संघर्ष है, लंबे दिन और छोटे पल हैं, जिन्हें कोई नहीं देखता लेकिन वे हमेशा आपके साथ रहते हैं। टेस्ट मैचों को खेलने के लिए बहुत शारीरिक और मानसिक ताकत की जरूरत होती है। भले ही विराट को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फिटनेस वाले खिलाड़ियों में शुमार किया जाता है पर बहुत संभव है कि वह पांच टेस्ट की सीरीज खेलने के लिए अपने को मानसिक रूप से मजबूत न पाते हों। वैसे भी हम विराट के 2019 के बाद के प्रदर्शन को देखें तो इसमें बहुत गिरावट आ गई थी। 2024 में उन्होंने खेले 10 टेस्ट में 24.52 के औसत से मात्र 417 रन ही बनाए जिसमें पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे के पहले टेस्ट में बनाया एकमात्र शतक शामिल है। 

इससे उनके प्रदर्शन में गिरावट को आसानी से समझा जा सकता है। इस खराब प्रदर्शन के साथ ही वह ऑफ स्टंप से बाहर की गेंदों पर ड्राइव करने के प्रयास में लगातार स्लिप और गली में कैच हो रहे थे। इसकी वजह उनके रिफलेक्सस में कमी आना भी हो सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि पिछले साल पहली बार घर में न्यूजीलैंड से टेस्ट सीरीज और फिर ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट सीरीज हारने के दौरान विराट और रोहित शर्मा के खराब प्रदर्शन करने के बाद ही मुख्य चयनकर्ता और कोच गौतम गंभीर ने इंग्लैंड दौरे से शुरू हो रही विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की नई साइकिल से यंग ब्रिगेड पर भरोसा करने का मन बना लिया था। कहा जा रहा है कि विराट से गंभीर ने कह दिया था कि वह इंग्लैंड दौरे के लिए उन्हें चुनेंगे जरूर पर इसके बाद से उनके प्रदर्शन को देख कर ही फैसले करेंगे। इससे साफ था कि उन्होंने उनसे आगे देखने का मन बना लिया है।

जहां तक बात विराट के स्वर्णिम प्रदर्शन की है, तो इसमें 2016-18 तक के समय को रखा जा सकता है। इस दौरान उन्होंने 75 से ज्यादा के औसत से रन बनाए। इस दौरान ही अपने 30 शतकों में से 14 शतक जमाए। यह वही दौर था जब उनके टेस्ट शतकों के मामले में सचिन तेंदुलकर से आगे निकलने की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन समय बीतने के साथ प्रदर्शन में गिरावट आने से वह 30 शतक पर ही सीमित होकर रह गए। विराट के प्रदर्शन की खूबी यह भी रही कि उन्होंने घर और बाहर, दोनों जगह बराबरी से रन बनाए। 

घर में खेले 55 टेस्ट में 4336 रन और घर से बाहर खेले 68 टेस्ट में 4894 रन बनाए। उनके घर में 14 और बाहर 16 शतक हैं। विराट भारत के सफलतम टेस्ट कप्तान हैं। उन्होंने अपनी कप्तानी में खेले गए 68 टेस्ट मैचों में से 40 जीते, 17 हारे और 11 ड्रा रहे। उन्होंने महेंद्र सिंह धोनी के 60 में से 27 टेस्ट जीत के रिकॉर्ड को तोड़ा था। विराट के रिकॉर्ड तक पहुंचना भावी कप्तानों के लिए आसान नहीं होगा। वह कप्तान के तौर पर सात दोहरे शतक लगाने वाले दुनिया के इकलौते क्रिकेटर हैं। लगातार तीन टेस्ट सीरीजों में दोहरे शतक लगा कर वह डॉन ब्रेडमैन और राहुल द्रविड़ को पीछे छोड़ने में भी सफल हो गए थे। विराट अपने बल्ले से चमक बिखेरने के कारण ही लोकप्रिय नहीं थे, बल्कि मैदान में दिखाई जाने वाली ऊर्जा के लिए भी जाने जाते थे। साथी खिलाड़ियों में भी दम भरने की हिम्मत रखते थे।

मनोज चतुर्वेदी


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