भारी बटुआ युवकों को बना रहा है बीमारी का शिकार

Last Updated 28 Jan 2020 03:57:35 PM IST

जींस या पैंट की पिछली जेब में भारी बटुआ रखने की प्रवृति युवाओं को कमर और पैरों की गंभीर बीमारी का शिकार बना रही है। जींस या पैंट की पीछे वाली जेब में भारी वॉलेट रखने से ‘‘पियरी फोर्मिस सिंड्रोम या ‘वॉलेट न्यूरोपैथी’ नाम की बीमारी हो सकती है।


पैंट की पिछली जेब में भारी बटुआ रखने पर गंभीर बीमारी

जींस या पैंट की पीछे वाली जेब में भारी वॉलेट रखने से ‘‘पियरी फोर्मिस सिंड्रोम या ‘वॉलेट न्यूरोपैथी’ नाम की बीमारी हो सकती है जिसमें कमर से लेकर पैरों की उंगलियों तक सुई चुभने जैसा दर्द होने लगता है। इस बीमारी के शिकार वे लोग ज्यादा होते हैं जो पैंट या जींस की पिछली जेब में मोटा वॉलेट रखकर घंटों कम्प्यूटर पर काम करते रहते हैं। आज के समय में इस बीमारी के सबसे ज्यादा शिकार युवा हो रहे है। कंप्यूटर इंजीनियरों को इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। इस बीमारी का समय रहते उपचार नहीं होने पर सर्जरी करवानी पड़ती है।
       
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ आथरेपेडिक सर्जन डा. राजू वैश्य ने बताया कि जब हम पैंट में पीछे लगी जेब में मोटा बटुआ रखते हैं तो वहां की पायरी फोर्मिस मांसपेशियां दब जाती है। इन मांसपेशियों का संबंध सायटिक नर्व से होता है, जो पैरों तक पहुंचता है। पैंट की पिछली जेब में मोटा बटुआ रखकर अधिक देर तक बैठकर काम करने के कारण इन मांसपेशियों पर अधिक दवाब पड़ता है। ऐसी स्थिति बार-बार हो तो ‘‘पियरी फोर्मिस सिंड्रोम हो सकती है, जिससे मरीज को अहसनीय दर्द होता है। जब सायटिक नस काम करना बंद कर देती है तो पैरों में बहुत तेज दर्द होने लगता है। इससे जांघ से लेकर पंजे तक काफी दर्द होने लगता है। पैरों की अंगुलियों में सुई जैसी चुभन होने लगती है।
       
फोर्टिस एस्कार्ट हार्ट इंस्टीच्यूट के न्यूरो सर्जरी विभाग के निदेशक डा. राहुल गुप्ता के अनुसार मोटे पर्स को पिछली जेब में रखकर बैठने पर कमर पर भी दबाव पड़ता है। चूंकि कमर से ही कूल्हे की सियाटिक नस गुजरती है इसलिए इस दबाव के कारण आपके कूल्हे और कमर में दर्द हो सकता है। साथ ही कूल्हे की जोड़ों में पियरी फोर्मिस मांसपेशियों पर भी दबाव पड़ता है। इसके अलावा रक्त संचार के भी रूकने का खतरा होता है। हमारे शरीर में नसों का जाल है जो एक अंग से दूसरे अंग को जोड़ती हैं। कई नसें ऐसी भी होती हैं जो दिल की धमनियों से होते हुए कमर और फिर कूल्हे के रास्ते से पैरों तक पहुंचती हैं। जेब की पिछली पॉकेट में पर्स रखकर लगातार बैठने से इन नसों पर दबाव पड़ता है, जिससे कई बार खून का प्रवाह रुक जाता है। ऐसी स्थिति लंबे समय तक बने रहने  से नसों में सूजन भी बढ़ सकती है।
        
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के आथरेपेडिक सर्जन डा. अभिषेक वैश बताते हैं कि पैंट या जींस की पीछे की जेब में मोटा पर्स रखने से शरीर के निचले हिस्से का संतुलन भी बिगड़ जाता है जिससे कई तरह की शारिरिक परेशानियां हो सकती हैं। पिछली जेब में मोटा वॉलेट होने की वजह से शरीर का बैलेंस ठीक नहीं बनता है और व्यक्ति सीधा नहीं बैठ पाता है। इस कारण ऐसे बैठने से रीढ़ की हड्डी भी झुकती है। इस वजह से स्पाइनल जॉइंट्स, मसल्स और डिस्क आदि में दर्द होता है। ये ठीक से काम नहीं करते हैं। इतना ही नहीं ये धीरे-धीरे इन्हें डैमेज भी करने लगते हैं।


        
डा. वैश्य का सुझाव है कि जहां तक हो सके घंटो तक बैठे रहने की स्थिति में पेंट की पिछली जेब से पर्स को निकालकर कहीं और रखें। नियमित रूप से व्यायाम करे। पेट के बल लेटकर पैरों को उठाने वाले व्यायाम करें। जिन्हें यह बीमारी है वे अधिक देर तक कुर्सी पर नहीं बैठे। कुर्सी पर बैठने से पहले ध्यान रखे कि बटुआ जेब में न हो। ड्राइविंग करते समय भी अधिक देर तक नहीं बैठना चाहिए। कोशिश करे छोटे से छोटे पर्स का उपयोग करे या अपना पर्स आगे की जेब में रखे।


अगर यह बीमारी आरंभिक अवस्था में है तो व्यायाम से भी लाभ मिल सकता है। बीमारी के बढ़ने पर सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है जो काफी महंगी होती है।

वार्ता
नयी दिल्ली


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