46 फीसद भारतीय बच्चों की ही होती नियमित आंख जांच : सर्वे

Last Updated 21 Nov 2019 05:09:41 PM IST

एक सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि 46 फीसद भारतीय बच्चों की ही नियमित आंख जांच करायी जाती है।




डॉक्टरों के अनुसार, एक ओर जहां 12 साल से कम उम्र के बच्चों में आंखों की एलर्जी, कमजोर दृष्टि और अदूरदर्शिता जैसी समस्याएं ज्यादातर देखने को मिलती हैं,वहीं एक सर्वे में यह खुलासा हुआ है कि सभी भारतीय अभिभावकों में से आधे से भी कम परिजन अपने बच्चों की नियमित आंख जांच कराते हैं।

सिग्नीफाई, जिसे पहले फिलिप्स लाइटनिंग के तौर पर जाना जाता था, उसने अपने शोध में शीर्ष 10 शहरों के करीब 1000 परिवार व 300 नेत्र विशेषज्ञ को लिया गया था।

इससे यह खुलासा हुआ कि करीब 68 प्रतिशत भारतीय अभिभावक यह मानते हैं कि उनके लिए बच्चों की आंखों की दृष्टि मायने रखती है, जबकि मात्र 46 प्रतिशत अभिभावक अपने बच्चों को नियमित आंख जांच के लिए ले जाते हैं।

ऑप्थेलमोलॉजी में एमएस, एमबीबीएस कुलदीप डोले ने बताया, "भारत में औसतन 23-30 प्रतिशत बच्चे मायोपिया से ग्रसित हैं, इनमें खासकर वे बच्चे शामिल हैं, जो शहरी क्षेत्र में रहते हैं और बाहर धूप में कम समय बिताते हैं। प्रमुख तौर पर टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर स्क्रीन और अन्य डिजिटल डिवाइस की वजह से बच्चों की दृष्टि पर बहुत प्रभाव पड़ रहा है।"

उन्होंने आगे कहा, "इसके अलावा वायु प्रदूषण भी उन कारणों में शामिल हैं, जिसकी वजह से आंखों को ज्यादा रगड़ने से भी आंखें कमजोर होती हैं।"

12 साल की कम उम्र के बच्चों की आंखों की दृष्टि को बचाने के लिए उन्हें उच्च पोषण युक्त आहार देने की जरूरत है और पर्याप्त नींद के साथ स्क्रीन के प्रयोग को कम करने की जरूरत है।
 

 

आईएएनएस
नयी दिल्ली


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