भारत ने गाजा में जारी मानवीय संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वहां संघर्षविराम जरूरी है और यह भी स्पष्ट किया कि ‘बीच-बीच में संघर्षविराम’ क्षेत्र की जनता के सामने मौजूद चुनौतियों को दूर करने के लिए ‘पर्याप्त नहीं’ हैं।

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को हुई एक चर्चा में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने कहा, ‘‘आज की बैठक गाजा में जारी मानवीय संकट की पृष्ठभूमि में हो रही है।’’
हरीश ने ‘फलस्तीन समेत पश्चिम एशिया में स्थिति’ पर एक बहस में भाग लेते हुए कहा, ‘‘बीच-बीच में संघर्षविराम, लोगों के सामने आ रही मानवीय चुनौतियों से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है। ये लोग हर रोज भोजन और ईंधन की कमी, अपर्याप्त चिकित्सा सेवाओं और शिक्षा के अभाव से जूझ रहे है।’’
उन्होंने इस संबंध में भारत के रुख को दोहराते हुए कहा कि वर्तमान मानवीय पीड़ा को और बढ़ने नहीं दिया जाना चाहिए।
हरीश ने कहा, ‘‘शांति का कोई विकल्प नहीं है। संघर्षविराम तुरंत लागू किया जाना चाहिए। सभी बंधकों को रिहा किया जाना चाहिए। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने का एकमात्र व्यावहारिक रास्ता संवाद और कूटनीति है। इसके अलावा कोई उपाय या समाधान नहीं है।’’
उन्होंने यह भी उम्मीद जतायी कि इजराइल-फलस्तीन संघर्ष पर आगामी संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वी-राष्ट्र समाधान की दिशा में ‘‘ठोस कदम’’ उठाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
सऊदी अरब और फ्रांस की सह-अध्यक्षता में यह उच्च-स्तरीय सम्मेलन 17-20 जून तक आयोजित होने वाला था, लेकिन क्षेत्र में बढ़ते तनाव के कारण इसे स्थगित कर दिया गया।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि ‘‘गाजा और वेस्ट बैंक में हम जो भी भयानक घटनाएं देख रहे हैं’’, उन्हें देखते हुए द्वी-राष्ट्र समाधान पर गौर करना आवश्यक है।
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