पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले सेवा करते हुए अपनी जान गंवाने वाले दो भारतीय शांति रक्षकों को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतरराष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिक दिवस पर मरणोपरांत सम्मानित किया गया।
 |
यूएन डिस्एंगेजमेंट ऑब्जर्वर फोर्स (यूएनडीओएफ) में सेवा देने वाले ब्रिगेडियर जनरल अमिताभ झा और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र मिशन (एमओएनयूएससीओ) में कार्य कर चुके हवलदार संजय सिंह को अंतरराष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक दिवस के अवसर पर बृहस्पतिवार को यहां आयोजित एक समारोह में
'डैग हैमरशॉल्ड पदक' से मरणोपरांत सम्मानित किया गया।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतननेनी हरीश ने दोनों शांति रक्षकों के परिवार की ओर से महासचिव एंतोनियो गुतारेस से यह सम्मान प्राप्त किया।
भारत के स्थायी मिशन ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘दिवंगत शांति रक्षक हमें मानवता की व्यापक और सामूहिक भलाई के लिए किए गए बलिदानों की याद दिलाते हैं। शांति रक्षक दुनिया भर में संकट के समय संयुक्त राष्ट्र का चेहरा बने हुए हैं जो गंभीर रूप से प्रभावित लोगों को शांति और आश्वासन प्रदान करते हैं।’’
भारत ने ब्रिगेडियर झा, हवलदार संजय सिंह और सेवानिवृत्त कर्नल वैभव अनिल काले को याद किया जिन्हें देश ने पिछले वर्ष खो दिया था।
भारत संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में वर्दीधारी कार्मिकों का चौथा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।
गुतारेस ने 1948 से अब तक जान गंवाने वाले 4,400 से अधिक शांति रक्षकों की स्मृति में पुष्पांजलि अर्पित की और 57 सैनिकों को मरणोपरांत पदक दिए।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा, ‘‘आज विश्व प्रभावी शांति स्थापना की मांग करता है। हम अपने बहादुर शांति रक्षकों की सेवा को कभी नहीं भूलेंगे।’’
एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों के अंतरराष्ट्रीय दिवस का विषय 'शांति स्थापना का भविष्य' है जो इस बात पर जोर देता है कि संयुक्त राष्ट्र पिछले वर्ष सितम्बर में विश्व नेताओं द्वारा अपनाए गए 'भविष्य के लिए समझौते' में बदलती दुनिया के अनुरूप शांति स्थापना को अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
| | |
 |