भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव की पृष्ठभूमि में संयुक्त राष्ट्र ने स्पष्ट किया है कि दोनों देशों में तैनात ‘संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह’ (यूएनएमओजीआईपी) के सभी कर्मी सुरक्षित हैं।

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संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की सहायक प्रवक्ता स्टेफनी ट्रेमब्ले से बुधवार को पूछा गया कि क्या भारत और पाकिस्तान में यूएनएमओजीआईपी का कोई कर्मी हमलों के कारण प्रभावित हुआ हैं? इस पर ट्रेमब्ले ने कहा, "हमने आज सुबह अपने डीपीओ (शांति संचालन विभाग) और वहां तैनात शांति कर्मियों से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि सभी कर्मी मौजूद हैं और सभी सुरक्षित हैं।"
भारतीय सशस्त्र बलों ने मंगलवार एवं बुधवार की दरमियानी रात पाकिस्तान एवं पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिनमें बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ और मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा का ठिकाना शामिल है।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत ये सैन्य हमले किए गए। पहलगाम आतंकवादी हमले में 26 लोगों की जान गई थी।
भारतीय हमलों के जवाब में पाकिस्तान की सेना ने जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास अग्रिम पंक्ति के गांवों को निशाना बनाकर गोलाबारी की। इस हमले में चार बच्चों और एक सैनिक सहित कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई, तथा 57 लोग घायल हुए।
जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में कार्मेलाइट ननों के एक ईसाई कॉन्वेंट पर पाकिस्तानी गोलाबारी से संबंधित सवाल पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस की सहायक प्रवक्ता स्टेफनी ट्रेमब्ले ने कहा, "मेरे पास खास स्थानों की सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन हम लगातार दोनों देशों से सैन्य संयम बरतने की अपील कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "जैसा कि महासचिव कई बार कह चुके हैं और मैं आज फिर दोहराना चाहती हूं कि दुनिया दोनों देशों के सैन्य टकराव को बर्दाश्त नहीं कर सकती।"
गुतारेस ने नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार भारतीय सैन्य अभियानों को लेकर चिंता व्यक्त की थी और दोनों देशों से अधिकतम सैन्य संयम बरतने का आह्वान किया था।
महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने पहले कहा था, "महासचिव नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार भारतीय सैन्य अभियानों को लेकर बहुत चिंतित हैं। वह दोनों देशों से अधिकतम सैन्य संयम बरतने का आह्वान करते हैं। दुनिया भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव बर्दाश्त नहीं कर सकती।"
यूएनएमओजीआईपी की स्थापना जनवरी 1949 में हुई थी।
1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध और उसके बाद उसी वर्ष 17 दिसंबर को हुए युद्ध विराम समझौते के बाद, यूएनएमओजीआईपी का कार्य, यथासंभव, उस युद्ध विराम समझौते के सख्त पालन से संबंधित घटनाक्रमों का निरीक्षण करना और महासचिव को इस बारे में रिपोर्ट पेश करना रहा है।
भारत का मानना है कि यूएनएमओजीआईपी अपनी उपयोगिता खो चुका है और शिमला समझौते और उसके परिणामस्वरूप नियंत्रण रेखा (एलओसी) की स्थापना के बाद यह अप्रासंगिक हो गया है।
संयुक्त राष्ट्र शांति सेना की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, फरवरी 2025 तक यूएनएमओजीआईपी में कुल 106 कर्मी तैनात हैं, जिनमें 69 नागरिक और 37 मिशन विशेषज्ञ शामिल हैं।
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