Black Sea Grain Deal : संयुक्त राष्ट्र ने रूस को दी चेतावनी, समुद्र में किसी सैन्य कार्रवाई के ‘विनाशकारी प्रभाव’ होंगे

Last Updated 22 Jul 2023 01:17:29 PM IST

वैश्विक खाद्य संकट को टालने और यूक्रेन से अनाज के निर्यात की मंजूरी को लेकर रूस को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने ही सहयोगी चीन और विकासशील देशों के साथ ही पश्चिमी देशों के दबाव का भी सामना करना पड़ा।


वैश्विक खाद्य संकट टालने और यूकेन से अनाज निर्यात बहाल करने को लेकर संरा का रूस पर दबाव

संयुक्त राष्ट्र एवं सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने रूस द्वारा अनाज निर्यात संधि से सोमवार को बाहर आने के बाद यूक्रेन के बंदरगाहों को निशाना बनाए जाने के लिए उसकी निंदा की। उनका कहना था कि बंदरगाह पर स्थापित अवसंरचना को क्षतिग्रस्त करके रूस असैन्य ढांचों पर हमले संबंधी अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन कर रहा है।

रूस द्वारा काला सागर के एक बड़े हिस्से को नौवहन के लिए खतरनाक घोषित किये जाने के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी कि समुद्र में किसी सैन्य कार्रवाई के ‘विनाशकारी प्रभाव’ हो सकते हैं।

रूस ने कहा कि उसने काला सागर के रास्ते अनाज के निर्यात को इसलिए रोका है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र यूक्रेन के अनाज समझौते के तहत उसके खाद्यान्न और उर्वरक को वैश्विक बाजार में पहुंच में आने वाली बाधाओं को दूर करने में असफल रहा है।

क्रेमलिन ने कहा कि बैकिंग सहित अन्य बाधाओं को दूर किये जाने पर वह यूक्रेन से अनाज वाले जहाजों को भेजने पर फिर से विचार कर सकता है।

चीन के संयुक्त राष्ट्र में उप राजदूत गेंग शुआंग ने रेखांकित किया कि विश्व निकाय के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने प्रतिबद्धता जताई है कि वह सुनिश्चित करेंगे कि यूक्रेन और रूस के अनाज व उर्वरकों के वैश्विक बाजार के रास्ते में आ रही बाधाओं को दूर करेंगे।

उन्होंने उम्मीद जताई कि रूस और संयुक्त राष्ट्र इस मुद्दे का समाधान करके निर्यात को बहाल करने के लिए काम करेंगे।

अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफिल्ड ने आरोप लगाया कि रूस काला सागर का इस्तेमाल ‘ब्लैकमेल’ करने के लिए कर रहा है और इस मुद्दे पर राजनीति कर रहा है। उन्होंने सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्यों से एकजुट होकर रूस से वार्ता बहाल करने की अपील करने का आह्वान किया।

कई विकासशील देशों ने यूक्रेन के अनाज निर्यात में कटौती से पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चेतावनी दी। उनका कहना है कि इसके कारण गेहूं की कीमतों में पहले ही वृद्धि हो चुकी है।

एपी
संयुक्त राष्ट्र


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