विदेश मंत्री जयशंकर ने UN महासचिव गुटारेस से की मुलाकात, सूडान की स्थिति पर जताई चिंता
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सूडान में लगातार बिगड़ते हालात पर गुरूवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटारेस से चर्चा की और ऐसी ‘सफल कूटनीति’ की आवश्यकता को रेखांकित किया, जिससे वहां शीघ्र संघर्ष विराम हो सके।
![]() जयशंकर ने गुटारेस से की सूडान में हालात पर चर्चा |
जयशंकर ने गुरूवार को यहां संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में गुटारेस से मुलाकात के दौरान भारत की जी20 अध्यक्षता और यूक्रेन युद्ध सहित कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की।
जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘न्यूयॉर्क में आज दोपहर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मुलाकात की। सूडान में मौजूदा घटनाक्रम, जी20 अध्यक्षता और यूक्रेन पर चर्चा की।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जाहिर तौर पर सूडान पर ध्यान केंद्रित किया गया। भारत शुरुआत में ही संघर्ष विराम और सुरक्षित गलियारे बनाने के प्रयासों का मजबूती से समर्थन करता हे। इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र और अन्य साझीदारों के साथ मिलकर निकटता से काम जारी रखेंगे।’’
Focus understandably was on Sudan. India strongly supports efforts towards an early ceasefire, leading to creation of safe corridors. Will continue to work closely with UN and other partners in this regard.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) April 20, 2023
सूडान की राजधानी खार्तूम सहित देश के अन्य हिस्सों में हुई हिंसा में एक भारतीय समेत 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
यह संघर्ष देश के सैन्य नेतृत्व के भीतर ताकत के संघर्ष का सीधा परिणाम है। देश में सूडान की नियमित सेना और ‘रैपिड सपोर्ट फोर्सेस’ (आएसएफ) नामक अर्द्धसैन्य बल के बीच टकराव के कारण ये हिंसा हुई है।
भारत ने गुरूवार को कहा था कि सूडान में स्थिति ‘‘बहुत तनावपूर्ण’’ है और वह भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब एवं मिस्र सहित विभिन्न देशों के साथ करीबी समन्वय कर रहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने नयी दिल्ली में कहा था, ‘‘ चार-पांच दिन बाद भी संघर्ष कम नहीं हुआ है, लड़ाई जारी है और स्थिति तनावपूर्ण है। ऐसे में हम भारतीयों से आग्रह करते हैं कि वे जहां हैं, वहीं रहें और बाहर न निकलें।’’
उन्होंने कहा था, ‘‘ हम सूडान के घटनाक्रम पर बेहद करीबी नजर रख रहे हैं। सूडान में भारतीय दूतावास औपचारिक, अनौपचारिक माध्यम से भारतीय समुदाय के साथ सम्पर्क में है।’’
बागची ने कहा कि हम अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र जैसे देशों के साथ सम्पर्क में है।
जयशंकर ने शुक्रवार से गुयाना, पनामा, कोलंबिया और डोमिनिकन गणराज्य की नौ दिवसीय यात्रा शुरू की। विदेश मंत्री के रूप में इन लातिन अमेरिकी देशों और कैरिबियाई क्षेत्र की जयशंकर की यह पहली यात्रा होगी।
लातिन अमेरिका की अपनी यात्रा शुरू करने से पहले जयशंकर न्यूयॉर्क पहुंचे और बृहस्पतिवार को दोपहर में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में गुतारेस से मुलाकात की।
जयशंकर ने कहा कि दक्षिण अमेरिका का उनका दौरा काफी पहले से तय था, लेकिन वह ‘‘संयुक्त राष्ट्र में मुख्यत: इसलिए यहां आए, क्योंकि आप तत्काल देख सकते हैं कि (सूडान में) 14 (अप्रैल) को शुरू हुई लड़ाई की स्थिति बहुत गंभीर है और कई लोग इस हालात में फंस गए हैं।’’
जयशंकर ने गुतारेस के साथ बैठक के बाद पत्रकारों के एक छोटे समूह से कहा, ‘‘हमें पता है कि संयुक्त राष्ट्र की क्षेत्र में भारी मौजूदगी है। यह केंद्र होगा। क्योंकि इस समय जिस चीज की आवश्यकता है, वह है कूटनीति, एक सफल कूटनीति, क्योंकि कूटनीति के जरिए वहां लोगों की सुरक्षा एवं उनके कल्याण के लिए आधार तैयार किया जा सकता है।’’
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के साथ हुई मुलाकात को ‘बेहद शानदार’ बताते हुए जयशंकर ने कहा कि सूडान में लड़ाई शुरू होने के बाद “मुझे महसूस हुआ कि मेरा संयुक्त राष्ट्र महासचिव से मिलना बहुत जरूरी है।”
उन्होंने कहा, “हमारी मुलाकात मुख्यत: सूडान के हालात पर केंद्रित थी। हालांकि, हमने जी20 और यूक्रेन युद्ध पर भी कुछ देर चर्चा की।”
विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सूडान युद्ध-विराम लागू कराने के “प्रयासों के केंद्र में है और पूरी कोशिश कर रहा है।”
उन्होंने कहा, “और यह वास्तव में बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय, जब तक युद्ध-विराम नहीं लागू होता है और जब तक निकासी गलियारे नहीं स्थापित किए जाते हैं, तब तक लोगों को बाहर निकालना वाकई सुरक्षित नहीं है।”
जयशंकर ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र हरेक से बात करके अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है। इस मामले में हमारा नि:संदेह हित है, क्योंकि वहां बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं।
जयशंकर ने कहा कि नयी दिल्ली कई देशों के संपर्क में है और उन्होंने भी सऊदी अरब के विदेश मंत्री फैसल बिन फरहान और यूएई के विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान से बात की है।
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