ताइवान को लेकर, एक बार फिर चीन और अमेरिका आमने-सामने

Last Updated 10 Apr 2023 03:37:56 PM IST

ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने अमेरिका की यात्रा क्या की, चीन आग बबूला ही हो गया। बिना देरी किए उसने ताइवान को चारों तरफ से घेरना शुरू कर दिया।


ताइवान को लेकर, एक बार फिर चीन और अमेरिका आमने-सामने

ताइवान रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चीन के 71 सैन्य विमानों और नौ जहाजों ने दोनों देशों के बीच अनौपचारिक बंटवारा बताने वाली ताइवान स्ट्रेट मेडियन लाइन को पार कर लिया है। ताइवान का कोई भी नेता जब भी अमेरिका जाता है, चीन ऐसा ही करता है। चीन हर हाल में ताइवान को अपने देश मे मिलाना चाहता है जबकि अमेरिका हमेशा उसके सामने दीवार बनकर खड़ा हो जाता है।

इस छोटे से देश को लेकर चीन, क्यों इतना बेचैन रहता है ? अमेरिका क्यों ताइवान को लेकर चीन से हमेशा टकराने को तैयार रहता है। इसके पीछे की असली वजह कुछ और ही है। अमेरिका और चीन, दोनों देशों का इसमे स्वार्थ छिपा हुआ है। आइये सबसे पहले इसकी वजह जानते हैं।

पूर्वी एशिया का द्वीप ताइवान अपने आसपास के कई द्वीपों को मिलाकर चीनी गणराज्य का एक अंग है। ताइवान जहां अपने आपको स्वतंत्र देश समझता है वहीं चीन उसे अपने देश का हिस्सा मानता है। इन दोनों देशों के बीच तनातनी 1949 से चली आ रही है। दरअसल इनके बीच की असल लड़ाई की वजह इनकी पहचान को लेकर है। ताइवान का असली नाम रिपब्लिक ऑफ चाइना है। वहीं चीन का नाम पीपुल्स ऑफ रिपब्लिक ऑफ चाइना है। दोनों देश एक दूसरे की संप्रभुता को मान्यता नहीं देते हैं। अमेरिका ने चीन को साफ संदेश दे दिया है कि ताइवान की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।

 अमेरिका की पहल से सवाल यह पैदा होता है कि इस छोटे से देश के लिए अमेरिका ने चीन से पंगा क्यों लिया। साथ ही साथ यह भी जानना जरूरी है कि चीन अपने किस कानून के तहत ताइवान को हमेशा उसे धौंस  दिखाता रहता है। अमेरिका की विदेश नीति के लिहाज से  ताइवान के सभी द्वीप काफी अहम हैं। अगर चीन उस पर कब्जा करर लेता है तो वह पश्चिमी प्रशांत महासगार में अपना दबदबा कायम करने सफल हो जाएगा। अगर ऐसा होता है तो गुआम हवाई द्वीपों पर मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकानों के लिए खतरा हो सकता है। यही वजह है कि अमेरिका ताइवान को लेकर हमेशा चौंकन्ना रहता है।

दरअसल दुनिया के मात्र 15 देशों ने ही ताइवान को स्वतंत्र राष्ट्र माना है। चीन और ताइवान विवाद के कारण ही अब तक ताइवान को कम ही देशों से मान्यता मिल पाई है। चीन के इस युद्धाभ्यास को देखते हुए ताइवान ने दुनिया के अन्य देशों से चीन की गतिविधियों का विरोध करने का आग्रह किया है। उधर चीन ने कहा है कि एक न एक दिन वह ताइवान पर कब्जा जरूर कर लेगा। जिस तरह से चाइना ने इस बार ताइवान को घेरा है, इसे देखकर सारी दुनिया चिंतित है। चाइना और अमेरिका की आपसी तनातनी बढ़ती जा रही है। अगर दोनों देशों के बीच लड़ाई छिड़ जाती है तो दुनिया के बाकी देश किसी न किसी के साथ जरूर खड़े होंगे। ऐसे में पूरे विश्व को बड़ी तबाही की ओर जाने से शायद ही कोई रोक पाए।

शंकर जी विश्वकर्मा
नई दिल्ली


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