ऑस्ट्रेलिया और जापान में ’ऐतिहासिक‘ रक्षा समझौता
ऑस्ट्रेलिया और जापान के नेताओं ने बृहस्पतिवार को एक ‘ऐतिहासिक’ रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो उनकी सेनाओं के बीच घनिष्ठ सहयोग की अनुमति देता है। यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती अक्रामकता को बड़ा झटका है।
![]() टोक्यो : ‘पारस्परिक पहुंच समझौता’ के हस्ताक्षरित दस्तावेज दिखाते |
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने ऑनलाइन सम्मेलन में ‘पारस्परिक पहुंच समझौते’ पर हस्ताक्षर किए। यह अमेरिका के अलावा किसी भी देश के साथ जापान द्वारा हस्ताक्षरित ऐसा पहला रक्षा समझौता है।
जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक साल से अधिक तक चली वार्ता के बाद यह समझौता किया गया। इसका उद्देश्य कानूनी बाधाओं को खत्म करना है, ताकि एक देश के सैनिकों को प्रशिक्षण और अन्य उद्देश्यों के लिए दूसरे में प्रवेश करने की अनुमति मिल सके।
मॉरिसन ने कहा, जापान, एशिया में हमारा सबसे करीबी भागीदार है, जैसा कि हमारी विशेष रणनीतिक साझेदारी से प्रदर्शित होता है। कानून के शासन, मानवाधिकार, मुक्त व्यापार और एक स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए प्रतिबद्ध दो महान लोकतंत्रों के बीच यह एक समान साझेदारी, साझा विश्वास है।
किशिदा ने भी इस समझौते को एक ऐसा ऐतिहासिक साधन बताया, जो राष्ट्रों के बीच सुरक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। इस दौरान चीन का कोई जिक्र नहीं किया गया।
ऑस्ट्रेलिया में जापान के राजदूत, शिंगो यामागामी ने कहा, बिगड़ते सुरक्षा माहौल के आलोक में, जापान और ऑस्ट्रेलिया एक साथ जो कर सकते हैं, वह सबसे पहले प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाना है।
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