द. अफ्रीका में सबसे निचले स्तर का लॉकडाउन

Last Updated 30 Nov 2021 05:58:42 AM IST

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने रविवार को कहा, कोरोना के नए स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ के खतरे के बावजूद देश में सबसे निचले यानी ‘पहले स्तर’ का लॉकडाउन ही लागू रहेगा।


द. अफ्रीका में सबसे निचले स्तर का लॉकडाउन

रामाफोसा ने दक्षिण अफ्रीका तथा उसके पड़ोसियों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने वाले 20 से अधिक देशों से आग्रह किया कि अर्थव्यवस्थाओं को और नुकसान से बचाने के लिए प्रतिबंध को तुरंत समाप्त किया जाए, क्योंकि दक्षिणी अफ्रीकी देश पहले से ही वैश्विक महामारी से प्रभावित हैं।

रामाफोसा ने कहा, इस स्तर पर और प्रतिबंध नहीं लगाने का निर्णय लेते हुए हमने इस तथ्य पर विचार किया कि जब हमने संक्रमण की पिछली लहरों का सामना किया, तब टीके व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं थे और बहुत कम लोगों को टीके लगे थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। बारह साल की उम्र तक के सभी लोगों के लिए टीके उपलब्ध हैं। वह भी मुफ्त में। देश में इसके लिए हजारों केंद्र बनाए गए हैं।

राष्ट्रपति ने कहा, हमें पता है कि कोरोना वायरस का प्रकोप अभी लंबे समय तक रहेगा। इसलिए हमें अर्थव्यवस्था के व्यवधानों को सीमित करते हुए और निरंतरता सुनिश्चित करते हुए वैश्विक महामारी से निपटने के तरीके तलाशने चाहिए। यात्रा प्रतिबंध पर बात करते हुए रामाफोसा ने तुरंत इन्हें हटाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, प्रतिबंध उस प्रतिबद्धता से बिल्कुल विपरीत हैं, जो इनमें से कई देशों ने पिछले महीने रोम में जी20 देशों की बैठक में जताई थी।

रामाफोसा ने कहा, इन देशों ने उस बैठक में विश्व स्वास्थ्य संगठन, अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन, अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन और ओईसीडी (आर्थिक सहयोग और विकास संगठन) जैसे प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय संगठनों के तहत, सुरक्षित एवं व्यवस्थित तरीके से अंतरराष्ट्रीय यात्रा को फिर से शुरू करने का संकल्प लिया था। उन्होंने कहा, इन प्रतिबंधों को उचित नहीं ठहराया जा सकता और यह हमारे देश तथा हमारे दक्षिणी अफ्रीकी सहयोगी देशों के साथ अनुचित रूप से भेदभाव है।

यात्रा प्रतिबंध का विकल्प विज्ञान ने नहीं दिया है और न ही यह इस प्रकार के संक्रमण को फैलने से रोकने में कारगर होगा। इससे केवल देश की अर्थव्यवस्था को और नुकसान पहुंचेगा तथा वैश्विक महामारी से निटपने और उससे उबरने की उनकी क्षमता और कमजोर होगी।

वैज्ञानिकों का कहना हे कि ‘ओमीक्रोन’ को लेकर घबराने की कोई जरूरत नहीं है और इसके बारे में अभी तक पर्याप्त जानकारी नहीं मिली है। ‘ओमीक्रोन’ स्वरूप से संक्रमण का पहला मामला दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था।

भाषा
जोहान्सबर्ग


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