जलवायु सम्मेलन : एक समझौते पर बनी सहमति, कोयले पर भारत का अलग रुख
ग्लासगो में जलवायु पर चर्चा के लिए एकत्रित हुए करीब 200 देशों ने ‘ग्लोबल वार्मिंग’ के लिए जिम्मेदार उत्सर्जन में कमी लाने के लक्ष्य को हासिल करने के इरादे से शनिवार को एक समझौते पर सहमति जताई।
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हालांकि, कुछ देशों का मानना है कि आखिरी समय में समझौते की भाषा में कुछ बदलावों से कोयले को लेकर प्रतिबद्धता पर पानी फिर गया।
छोटे द्वीपीय देशों समेत कई देशों ने कहा है कि वे कोयले के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के बजाय इसे चरणबद्ध तरीके से कम करने के भारत के सुझाव से बेहद निराश हैं क्योंकि कोयला आधारित संयंत्र ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का सबसे बड़ा स्रोत हैं।
स्विट्जरलैंड की पर्यावरण मंत्री सिमोनेटा सोमारुगा ने कहा, समझौते की भाषा में बदलाव से वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस (2.7 डिग्री फ़ारेनहाइट) तक सीमित करना कठिन होगा। जलवायु मामलों पर अमेरिका के दूत जॉन केरी ने कहा, सरकारों के पास कोयला के संबंध में भारत के बयान को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा, अगर हमने ऐसा नहीं किया होता तो हमारे बीच कोई समझौता नहीं होता।
केरी ने बाद में प्रेस कांफ्रेंस में कहा, हम वास्तव में जलवायु अराजकता से बचने और स्वच्छ हवा, सुरक्षित पानी और स्वस्थ ग्रह हासिल करने की दिशा में पहले से कहीं ज्यादा करीब हैं। कई अन्य देशों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने अंतिम समझौते को कमजोर करने वाली मांगों को लेकर भारत की आलोचना की।
ऑस्ट्रेलिया के जलवायु वैज्ञानिक बिल हरे ने कहा, भारत का अंतिम समय में समझौते की भाषा को बदलने का सुझाव काफी चौंकाने वाला है। भारत लंबे समय से जलवायु कार्रवाई पर अवरोधक रहा है, लेकिन मैंने इसे सार्वजनिक रूप से कभी नहीं देखा। बहरहाल, सीओपी26 के अध्यक्ष और ब्रिटेन के कैबिनेट मंत्री आलोक शर्मा ने समझौते की घोषणा करते हुए कहा, अब हम इस धरती और इसके वासियों के लिए एक उपलब्धि के साथ इस सम्मेलन से विदा ले सकते हैं।
वहीं, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने ग्लासगो जलवायु शिखर सम्मेलन में पूछा कि कोई विकासशील देशों से कोयले और जीवाश्म ईधन सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से बंद करने के वादे की उम्मीद कैसे कर सकता है, जबकि उन्हें अब भी उनके विकास एजेंडा और गरीबी उन्मूलन से निपटना है।
पर्यावरण मंत्री यादव ने कहा, अध्यक्ष महोदय (शर्मा) सर्वसम्मति बनाने के आपके निरंतर प्रयासों के लिए धन्यवाद। हालांकि, सर्वसम्मति बन नहीं पायी। भारत इस मंच पर रचनात्मक बहस और न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाधान के लिए हमेशा तैयार है। मंत्री ने कहा, जीवाश्म ईंधन और उनके उपयोग ने दुनिया के कुछ हिस्सों को सम्पन्नता और बेहतरी प्राप्त करने में सक्षम बनाया है और किसी विशेष क्षेत्र को लक्षित करना ठीक नहीं है।
कॉप-27 अगले वर्ष मिस्र में होगा
संयुक्त राष्ट्र का अगला जलवायु सम्मेलन कॉप-27 अगले वर्ष मिस्र में आयोजित किया जाएगा। फिनलैंड के पर्यावरण मंत्रालय ने यह जानकारी दी है। मंत्रालय ने शनिवार को कहा, अगला जलवायु शिखर सम्मेलन एक वर्ष में मिस्र में आयोजित किया जाएगा। मंत्रालय ने जानकारी दी कि अगला जलवायु शिखर सम्मेलन वर्ष 2022 में मिस्र के शर्म अल-शेख शहर के रेड सी रिसॉर्ट में होगा। कॉप-26 जलवायु शिखर सम्मेलन 31अक्टूबर से 12 नवम्बर तक स्कॉटिश शहर ग्लास्गो में आयोजित किया गया।
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