ओसामा बिन लादेन की तलाश में दस साल तक चले अभियान पर न्यूयॉर्क में प्रदर्शनी

Last Updated 14 Nov 2019 01:18:01 PM IST

अमेरिका में 9/11 के हमले के मास्टर माइंड ओसामा बिन लादेन को खोजने और उसे मारने के अभियान पर आधारित एक प्रदर्शनी न्यूयॉर्क में लगाई गई है।


इसमें पाकिस्तान के उस बंगले का मॉडल भी है जहां ओसामा रह रहा था। एक वीडियो भी दिखाया जा रहा है जिसमें अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति हमले की कार्रवाई को मंजूरी देने में अपनी हिचकिचाहट का कारण बता रहे हैं।
 

‘‘रिवील्ड: द हंट फॉर बिन लादेन’’ प्रदर्शनी शुक्रवार को न्यूयॉर्क में 11 सितंबर 2001 के हमलों से संबंधित संग्रहालय में शुरू हुई। इसमें ओसामा की दस साल तक चली तलाश की कहानी का चित्रण है ।

9/11 मेमोरियल म्यूजियम की अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी एलिस ग्रीनवाल्ड ने बताया कि छापेमारी की कार्रवाई किस तरह हुई थी, इसकी जानकारी उन लोगों से ली गई जो उस वक्त वहां मौजूद थे।

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के कमांडो ने एक और दो मई 2011 की दरमियानी रात को ऑपरेशन जेरोनिमो के तहत बिन लादेन को खत्म कर डाला था।      

ओसामा ने न्यूयॉर्क में ट्विन टावर पर विमानों से हमला किया था, उस हमले में 3,000 लोग मारे गए थे।      
यह प्रदर्शनी मई 2021 तक चलेगी। प्रदर्शनी में करीब 60 वस्तुएं रखी गई हैं जिनमें से कई ऐसी हैं जो पाकिस्तान के उस घर से बरामद की गई थी जहां ओसामा रह रहा था। इसके अलावा कई दर्जन फोटो और वीडियो भी प्रदर्शनी में हैं।

प्रदर्शनी में घटनाक्रम की शुरुआत वर्ष 2001 के आखिर से हुई है जब बिन लादेन अफगानिस्तान में तोरा-बोरा की पहाड़ियों से गायब हो जाता है, जिसके बाद उसका कुछ पता नहीं चलता। इसमें दिखाया गया कि किस तरह वर्ष 2010 में पेशावर में बिन लादेन के संदेशवाहक अबु अहमद अल कुवैती और उसकी जीप का पता चलता है।    

अल कुवैती अमेरिकी एजेंटों को पाकिस्तान के इस्लामाबाद से 80 किमी दूर ऐबटाबाद ले जाता है जहां एक घर में एक रहस्यमयी व्यक्ति रहता था।      
अमेरिकियों ने उस व्यक्ति को ‘पेसर’ नाम दिया। धीरे-धीरे उन्हें भरोसा हो गया कि यह वही व्यक्ति है जिसकी उन्हें तलाशी थी-ओसामा बिन लादेन।      

इसमें वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर ओसामा के खिलाफ अभियान में शामिल नेवी सील कमांडो के भी साक्षात्कार हैं। कुछ एजेंटों ने बताया कि बिन लादेन को खोजने के लिए उन्होंने ऐसे लोगों का पीछा किया जो ऐसा लगता था कि उसकी मदद कर सकते हैं।

संग्रहालय के एक अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनी से पहले तीन साल से भी अधिक समय तक इस बारे में सरकारी एजेंसियों के साथ बातचीत की गई। तब उन्हें यह पता नहीं था कि इस अभियान के बारे में कितनी जानकारी सार्वजनिक करने दी जाएगी क्योंकि यह अभियान ‘बेहद गोपनीय’ था।   

 

एएफपी
न्यूयॉर्क


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