इजराइल-भारत के बेहतर संबंधों से फिलिस्तीन को हो सकता है फायदा

Last Updated 10 Feb 2018 01:34:16 PM IST

फिलिस्तीन में विशेषज्ञों ने कहा कि इजराइल के साथ भारत के बेहतर संबंधों से असल में उनके देश को फायदा पहुंच सकता है और फिलिस्तीनी नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा को इजराइल के साथ शांति प्रक्रिया फिर से शुरू करने के एक अवसर के तौर पर देखता है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

मोदी इस क्षेत्र में बढ़े तनाव के बीच रामल्ला पहुंच रहे हैं. वह फिलिस्तीन की यात्रा करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के यरुशलम को इजराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के बाद क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है.

फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन एक्जीक्यूटिव कमिटी के सदस्य अहमद मजदलानी ने कहा कि इजराइल और भारत के बीच बेहतर संबंधों से फिलिस्तीनियों को मदद मिल सकती है.

द यरूशलम पोस्ट ने मजदलानी के हवाले से कहा, ‘‘उनके बीच बढ़ते संबंध सकारात्मक हो सकते हैं क्योंकि अब भारत का इजराइल पर अधिक दबाव है और वह हमारे पक्ष में दबाव बना सकता है.’’

रामल्ला में कई अधिकारियों से चर्चा के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा है कि फिलिस्तीनी नेतृत्व भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा को शांति प्रक्रिया के गतिरोध को तोड़ने में मदद करने के एक अवसर के रूप में देख रहा है. हालांकि इजराइल ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल अमेरिका के नेतृत्व वाली शांति प्रक्रिया के तहत ही आगे बढ़ेगा.

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘आज वैश्विक समुदाय में भारत की व्यापक स्वीकार्यता है. उसके गणतंत्र दिवस समारोह में आसियान देशों के नेताओं की भागीदारी उसके बढ़े हुए दर्जे को स्पष्ट तौर पर दर्शाती है. ब्रिक्र्स ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीकी में उसकी सदस्यता और कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसकी दृश्यता साफ तौर पर यह दिखाती है कि आज वह एक वैश्विक खिलाड़ी है.’’

इजराइल के साथ भारत के कूटनीतिक संबंधों, मोदी की इजराइल यात्रा को लेकर मिलनसारिता और इजराइली प्रधानमंत्री की भारत यात्रा से ऐसा नहीं लगता कि फिलिस्तीन बेचैन है.

विश्वविद्यालय के एक छात्र एमान ने कहा, ‘‘यहां तक कि जॉर्डन और मिस के भी इजराइल के साथ पूर्ण कूटनीतिक संबंध हैं तो भारत के क्यों नहीं हो सकते.’’

इजराइल से भारत के बढ़ते संबंध के बारे में पूछे जाने पर राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने खुद कहा कि ‘‘किसी भी देश के पास अन्य देशों से संबंध कायम करने का अधिकार है.’’

मोदी पश्चिम एशिया की अपनी यात्रा के दौरान इजराइल नहीं जाएंगे.

भारत सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार फिलिस्तीन के पक्ष में वोट करता रहा है और नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में उसके हालिया वोट पर स्पष्ट तौर पर ‘नाखुशी’ जताई थी जहां 128 देशों ने यरुशलम को इजराइल की राजधानी घोषित करने के अमेरिका के कदम को खारिज कर दिया था.

मोदी आज फिलिस्तीन की तीन घंटे की व्यस्त यात्रा फिलिस्तीन के प्रतिष्ठित दिवंगत नेता यासीर अराफात की कब्र पर पुष्पचक्र अर्पित कर शुरू करेंगे. उनके साथ फिलिस्तीन के उनके समकक्ष रामी हमदल्ला भी होंगे.

इजराइली मीडिया में इस यात्रा को प्रमुखता से जगह दी गई है. कई खबरों में इस पर नाखुशी जताई गई है. कई इजराइली अराफात को इस क्षेत्र में कई निर्दोष नागरिकों की हत्या और हिंसा भड़काने के लिए दोषी मानते हैं.

अराफात को श्रद्धांजलि देने के बाद वह कब्र के पास बने उनके संग्रहालय भी जाएंगे.

वह 15 माह पहले बने यासीर अराफात के संग्रहालय में करीब 20 मिनट बिताएंगे. इस संग्रहालय में पूर्व फिलिस्तीनी नेता की जीवन गाथा बताई गई है.

अराफात संग्रहालय के निदेशक मुहम्मद हलायका के अनुसार, इस संग्रहालय का दौरा करने वाले मोदी पहले प्रधानमंत्री होंगे.

इसके बाद राष्ट्रपति अब्बास मोदी की अगवानी करेंगे और दोनों नेता चर्चा करेंगे, द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे, संयुक्त संवाददाता सम्मेलन करेंगे और दोपहर का भोजन करेंगे. इसके बाद मोदी अम्मान रवाना हो जाएंगे.

वहां से एक दिन बाद मोदी दो दिवसीय यात्रा पर संयुक्त अरब अमीरात जाएंगे.

भाषा


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