रोहिंग्या संकट : म्यांमार की सेना ने पहली बार माना, हिंसा में शामिल थे सैनिक
म्यांमार की सेना ने पहली बार स्वीकार किया है कि उसके सैनिक रखाइन प्रांत में भड़की हिंसा के दौरान रोहिंग्या मुसलमानों की हत्या में शामिल थे.
रोहिंग्या संकट : हिंसा में शामिल थे सैनिक |
इससे पहले नवम्बर में सेना ने ऐसे सभी आरोपों से इंकार कर दिया था.
म्यांमार सेना की ओर से कल जारी एक रिपोर्ट में बताया गया कि सुरक्षाबलों ने एक गांव में कुछ रोहिंग्या मुसलमानों की हत्या की है. हालांकि सेना ने केवल एक मामले में यह संलिप्तता स्वीकार की है. सेना के मुताबिक जांच में पाया गया है कि म्यांगदो के इन दीन गांव में 10 लोगों की हत्या में सुरक्षा बलों के चार जवान शामिल थे.
सेना ने 18 दिसम्बर को बताया था कि तटीय गांव इन दीन में एक कब्र से 10 कंकाल मिले हैं. इन कंकालों के मामले की जांच की जाएगी. सेना की जांच रिपोर्ट अब सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि गांव वालों और सुरक्षाबलों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने 10 आतंकियों की हत्या की.
पिछले साल अगस्त में भड़की हिंसा के बाद से छह लाख से अधिक रोहिंग्या मुसलमान रखाइन से भागकर पड़ोसी देश बांग्लादेश में शरण ले चुके हैं.
हिंसा के दौरान सामूहिक हत्याओं, बलात्कार और अत्याचार की दर्दनाक कहानियां सामने आई थीं. रोहिंग्या मुसलमानों का आरोप है कि सेना और स्थानीय बौद्धों ने मिलकर उनके गांव जला दिए और उन पर हमले किए जबकि सेना ने आम लोगों पर हमले करने के आरोपों से इंकार करते हुए कहा था कि उसने सिर्फ रो¨हग्या चरमपंथियों को निशाना बनाया था.
गौरतलब है कि सेना ने 25 अगस्त को सेना पर किए गए हमले के जवाब में साढ़े छह लाख रोहिंग्या मुसलमानों देश से निकाल बाहर करने का काम शुरू कर दिया था. सयुंक्त राष्ट्र ने सेना की दमनकारी कार्रवाई की कड़ी ¨नदा की थी. म्यांमार सेना का कहना था वह केवल वैध आतंकवाद विरोधी कार्रवाई कर रही है.
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