Saphala Ekadashi 2024: कब है सफला एकादशी? जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

Last Updated 06 Jan 2024 01:40:00 PM IST

Saphala Ekadashi 2024: सफला एकादशी नए वर्ष 2024 की पहली एकादशी है। पंचांग के मुताबिक पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी कहा जाता है।


हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। हर साल में चौबीस एकादशी होती हैं। तो चलिए आपको बताते हैं सफला एकादशी का महत्व, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त।

कब है सफला एकादशी? Saphala Ekadashi kab hai
7 जनवरी 2024 को सफला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं सफला एकादशी मनाएंगी।  पौष मास के कृष्ण पक्ष में सफला एकादशी मनाई जाती है।  इस दिन नारायण भगवान की विधि पूर्वक पूजा की जाती है। इस एकादशी को कल्याण करने वाली माना जाता है। ये एकादशी समस्त व्रतों में सबसे श्रेष्ठ है।

सफला एकादशी महत्व - Saphala ekadashi vrat mahatva
सफला एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान से किया जाता है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा - पाठ करने से व्यक्ति के सभी कार्य सफल होते हैं और इच्छाएं भी पूर्ण होती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। मनुष्य भगवान विष्णु के धाम बैकुंठ को प्राप्त करता है। इस एकादशी के व्रत से व्यक्ति को जीवन में उत्तम फल की प्राप्ति होती है। यह एकादशी कल्याण करने वाली है।  

सफला एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त – Saphala ekadashi shubh muhurat
सफला एकादशी तिथि - 7 जनवरी 2024

पारण का समय  - 8 जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से सुबह 9 बजकर 20 मिनट के बीच किया जा सकता है।

एकादशी तिथि की शुरुआत  - 7 जनवरी की रात 12 बजकर 41 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्त – 8 जनवरी की रात 12 बजकर 46 मिनट तक

सफला एकादशी व्रत विधि – Saphala Ekadashi Vrat Vidhi

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें

घट स्थापना करके भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।

फूल, धूप और पंचामृत आदि चीज़े भगवान विष्णु पर चढ़ाएं और व्रत की कथा का पाठ करें।

भगवान विष्णु का ध्यान करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लें।

व्रत के दौरान सात्विक भोजन या निराहार रहकर पूरा दिन व्रत करें।

रात में प्रति पहर भगवान विष्णु और शिव भगवान की पूजा करें।

पीपल, तुलसी के समीप घी का दीपक जलाएं|

रातभर कीर्तन, भजन करें।

अगले दिन प्रात: व्रत का पारण समापन करें।

पारण के बाद अपनी श्रद्धा के अनुसार ब्राह्मण और ज़रूरतमंदों को दान करें और भगवान विष्णु से क्षमायाचना कर अपना व्रत खोलें।

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


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