Narak Chaturdashi 2023 : नरक चतुर्दशी पर इस विधि से करें पूजा, मिलेगी पापों से मुक्ति

Last Updated 07 Nov 2023 09:15:50 AM IST

नर्क चतुर्दशी को नरक चौदस या नर्क चतुर्दशी या नर्का पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज, माता काली और श्रीकृष्ण की आराधना की जाती है।


Narak Chaturdashi 2023

Narak Chaturdashi 2023 Puja Vidhi : नर्क चतुर्दशी को नरक चौदस या नर्क चतुर्दशी या नर्का पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज, माता काली और श्रीकृष्ण की आराधना की जाती है।  इस साल नरक चतुर्दशी 12 नवंबर 2023 (Narak Chaturdashi 2023 Date) को है। इस साल पंचांग भेद के कारण  नरक चतुर्दशी और दिवाली एक ही दिन है। तो चलिए आपको बताते हैं नर्क चतुर्दशी पर कैसे करें पूजा और क्या है शुभ मुहूर्त।
 
नर्क चतुर्दशी का महत्व - ( Narak Chaturdashi 2023 Significance )
इस दिन मनुष्य को अपने सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और वह नरक की यातनाओं से बचता है। इस दिन शाम को दीपदान की प्रथा है जिसे यमराज के लिए किया जाता है। सुबह नहाने के बाद विष्णु मंदिर और कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन करने से पुण्य मिलता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है।

नरक चतुर्दशी 2023 तिथि -  ( Narak Chaturdashi 2023 Date )

चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ  - 11 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 57 मिनट
 तिथि का समापन - 12 नवंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 44 मिनट।

नर्क चतुर्दशी अभ्यंग स्नान मुहूर्त - ( Narak Chaturdashi 2023 Abhyang Snan Muhurat )
अभ्यंग स्नान मुहूर्त - 12 नवंबर 2023 को सुबह 05 बजकर 28 मिनट से 06 बजकर 41 मिनट तक है।

नरक चतुर्दशी 2023 की पूजा विधि ( Narak Chaturdashi 2023 Puja Vidhi )
सूर्योदय से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहन लें।
नरक चतुर्दशी के दिन यमराज, काली माता, श्री कृष्ण, शिव भगवान , हनुमान जी और विष्णु भगवान जी के वामन रूप की विशेष पूजा की जाती है।
अब इन सभी भगवान की प्रतिमा स्थापित करें।
घर के ईशान कोण में इन सभी देवी की मूर्ति स्थापित करें।
इसके बाद देवताओं के सामने धूप दीप जलाएं।
अब उन्हें कुमकुम का तिलक लगाएं।
 मंत्रों का जाप करें।

नरक चतुर्दशी 2023 की कथा - ( Narak Chaturdashi 2023 katha )
पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसी मान्यता है के इस दिन भगवान कृष्ण ने अत्याचारी और दुराचारी नरकासुर का वध किया था। इस दौरान उन्होंने सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया था। इस उपलक्ष में दीयों की बारात सजायी जाती है इसलिए नर्क चतुर्दशी मनाई जाती है।

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment