Sankashti Chaturthi 2023 : जानिए कैसे करें संकष्टी चतुर्थी पर व्रत और पूजन

Last Updated 30 Sep 2023 10:59:04 AM IST

संकष्टी चतुर्थी व्रत का आरम्भ भक्त इस संकल्प के साथ करें ' गणपतिप्रीतये संकष्टचतुर्थीव्रतं करिष्ये ' ऐसा करने से भक्तों को व्रत का फल मिलता है


Sankashti Chaturthi 2023

Sankashti Chaturthi 2023 - 2 अक्टूबर 2023 को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन भक्त भगवान गणेश की पूजा करते हैं और संकट माता की भी पूजा की जाती है। संकष्ट का अर्थ है 'कष्ट या विपत्ति', 'कष्ट' का अर्थ होता है 'क्लेश', यानी इस दिन व्रत करने से भगवान अपने भक्तों के सारे संकट दूर कर देते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कैसे करें संकष्टी चतुर्थी पर व्रत और पूजन।

संकष्टी चतुर्थी कब है? – Sankashti chaturthi vrat shubh muhurat 2023
संकष्टी चतुर्थी इस बार 2 अक्टूबर 2023 को है। इस व्रत का आरम्भ भक्त इस संकल्प के साथ करें ' गणपतिप्रीतये संकष्टचतुर्थीव्रतं करिष्ये ' ऐसा करने से भक्तों को व्रत का फल मिलता है और उनके संकट दूर होते हैं। इसके बाद सांयकाल के समय गणेश भगवान को और चंद्रोदय के समय चंद्रमा का पूजन करके अर्घ्य दें। अर्घ्य  देते समय इन मंत्रों का उच्चारण करें -

 

sankashti chaturthi mantra in hindi
 'गणेशाय नमस्तुभ्यं सर्वसिद्धि प्रदायक'
'संकष्टहर में देव गृहाणर्धं नमोस्तुते'
'कृष्णपक्षे चतुर्थ्यां तु सम्पूजित विधूदये'
'क्षिप्रं प्रसीद देवेश गृहार्धं नमोस्तुते'

Sankashti Chaturthi par kaise karein puja
संकष्टी चतुर्थी व्रत का वर्णन नारदपुराण में कुछ इस प्रकार है - Narada purana mein sankashti chaturthi 2023
माघकृष्णचतुर्थ्यां तु संकष्टव्रतमुच्यते । तत्रोपवासं संकल्प्य व्रती नियमपूर्वकम् ।। ११३-७२ ।।
चंद्रोदयमभिव्याप्य तिष्ठेत्प्रयतमानसः । ततश्चंद्रोदये प्राप्ते मृन्मयं गणनायकम् ।। ११३-७३ ।।
विधाय विन्यसेत्पीठे सायुधं च सवाहनम् । उपचारैः षोडशभिः समभ्यर्च्य विधानतः ।। ११३-७४ ।।
मोदकं चापि नैवेद्यं सगुडं तिलकुट्टकम् । ततोऽर्घ्यं ताम्रजे पात्रे रक्तचंदनमिश्रितम् ।। ११३-७५ ।।
सकुशं च सदूर्वं च पुष्पाक्षतसमन्वितम् । सशमीपत्रदधि च कृत्वा चंद्राय दापयेत् ।। ११३-७६ ।।
गगनार्णवमाणिक्य चंद्र दाक्षायणीपते । गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक ।। ११३-७७ ।।
एवं दत्त्वा गणेशाय दिव्यार्घ्यं पापनाशनम् । शक्त्या संभोज्य विप्राग्र्यान्स्वयं भुंजीत चाज्ञया ।। ११३-७८ ।।
एवं कृत्वा व्रतं विप्र संकष्टाख्यं शूभावहम् । समृद्धो धनधान्यैः स्यान्न च संकष्टमाप्नुयात् ।। ११३-७९ ।।

संकष्टी चतुर्थी व्रत की पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्त प्रातः काल उठें।
स्नान आदि करके साफ वस्त्र धारण करें।
चंद्रोदय होने पर मिट्टी की गणेश भगवान की मूर्ती बनाकर उसे पाटे पर स्थापित करें। 
गणेश भगवान के साथ उनके आयुध और वाहन भी होने चाहिए।
इसके बाद विधिपूर्वक उनका पूजन करें।
अब नैवेद्य, मोदक और गुड़ से बनाए हुए तिल के लडडूओं को अर्पित करें।
तांबे के एक बर्तन में लाल चन्दन, दूर्वा, कुश, अक्षत, कुश, शमीपत्र और गंगाजल एकत्र करके इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए चन्द्रमा को अर्घ्य दें - गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते। गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥
अब ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उसके बाद खुद भी भोजन ग्रहण करें।

इन दिन क्या - क्या करना चाहिए - Sankashti Chaturthi par kya krna chahiye
गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ इस दिन ज़रुर करना चाहिए। इसे शुभ माना गया है।
गणेश भगवान को कच्चे दूध, पंचामृत, गंगाजल से स्नान कराएं। 
वस्त्र, पुष्प आदि भगवान गणेश को अर्पित करें और तिल तथा गुड़ के लड्डूओं और दूर्वा का भोग लगाएं। लड्डूओं की संख्या 11 या 21 होनी चाहिए। 
इस दिन गणपति के 12 नाम या 21 नाम या 101 नाम का वर्णन करें। 
संकट नाशन गणेश स्तोत्र के पाठ का उच्चारण ज़रुर करें।

 

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


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