Chaurchan Parv 2023: चंद्रमा की पूजा कर पुत्र की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं मिथिला की महिलाएं, जानें-शुभ मुहूर्त

Last Updated 18 Sep 2023 11:49:06 AM IST

बिहार के मिथिलांचल में आज चौरचन पर्व की धूम है। इस दिन मिथिला की महिलाएं चंद्रमा की पूजा कर पुत्र की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं।


बिहार के मिथिलांचल में प्रकृति से जुड़े हुए काफी सारे त्यौहार मनाए जाते हैं। जैसे कि सूर्य देव की आराधना करने के लिए छठ पर्व मनाए जाते हैं तो इसी तरह चंद्र देव की आराधना करने के लिए चौरचन का त्योहार मनाया जाता है। चौरचन के त्यौहार को चौठ चंद्र त्यौहार भी कहा जाता है।

कहा जाता है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चंद्र देव की पूज करने से साधक को शारीरिक और मानसिक समस्याओं के मुक्ति मिलती है।

मिथिला पंचाग के अनुसार इस बार चौरचन का त्योहार 18 सितंबर, सोमवार को मनाया जा रहा है। इस दिन चंद्र देव की पूजा की जाती है। यह पर्व मिथिला में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है.

चौरचन के दिन यहां महिलाएं सुबह से लेकर शाम तक निर्जल उपवास रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ देकर उपवास को खोलती है। महिलाएं अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए यह व्रत रखती हैं।

इस त्योहार पर तरह-तरह के मीठे पकवान जैसे की खीर मिठाई गुझिया और फल आदि रखे जाते हैं। इस त्यौहार में दही का काफी ज्यादा महत्व है। पूजा में दही का शामिल करना बहुत जरूरी माना जाता है।

शाम के समय घर के आंगन को गाय के गोबर से लिप कर साफ किया जाताहै। इसके बाद कच्चे चावल को पीसकर रंगोली तैयार की जाती है और इस रंगोली से आंगन को सजाया जाता है। इसके बाद केले के पत्ते की मदद से गोलाकार चांद बना कर पूजा की जाती है और चंद्रोदय के समय चंद्र देव को अर्ध्य देते हैं। घर के सभी सदस्य पूजा स्थल पर प्रसाद ग्रहण करते हैं। चांद के दर्शन के बाद ही ये व्रत पूरा माना जाता है।

जानें मान्यता

इस पूजा की मान्यता है कि चौठ के दिन भगवान गणेश ने चंद्रमा को श्राप दिया था।  पुराणों में ऐसा कहा गया है कि चंद्रमा को अपने सुंदरता पर बड़ा घमंड था। एक दिन कैलाश में घूम रहे भगवान गणेश ने चंद्रमा को हंसते हुए देखा तो गणेश जी ने इसका कारण पूछा कि वह क्यों हंस रहें है। तब चंद्र देव ने कहा कि वह भगवान का विचित्र रूप देखकर हंस रहें हैं। इससे नाराज होकर भगवान गणेश ने चांद को श्राप दे दिया और कहा कि जिस रूप का उन्हॆ इतना घमंड है वह कुरूप हो जाएगा और जो भी इस दिन चांद देखेगा उसे कलंक लगने का डर रहेगा। यह बात सुनकर चंद्रदेव का अभिमान खत्म हो गयाऔर भगवान गणेश से माफी मांगने लगे। चंद्रदेव के पश्चाताप को देखकर भगवान गणेश ने चंद्रदेव को माफ कर दिया इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए भाद्र मास के चतुर्थी के दिन चांद ने भगवान गणेश की पूजा अर्चना की। चांद को अपनी गलती का एहसास था इसलिए भगवान गणेश ने उसे वर दिया कि जो भी मेरी पूजा के साथ तुम्हारी पूजा करेगा उसे कलंक नहीं लगेगा।

शुभ मुहर्त

हिंदु पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी 18 सितंबर को दोपहर 12:39 बजे शुरू हो रही है और अगले दिन 19 सितंबर दोपहर 1:43 बजे इस तिथि का समापन होगा। चौरचरन के दिन शाम के समय पूजा की जाती है। इस कारण ये व्रत आज यानि 18 सितंबर 2023 को रखा जाएगा।

समय लाइव डेस्क
नई दिल्ली


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