आचरण

Last Updated 19 Jul 2022 11:34:55 AM IST

श्रेष्ठ से श्रेष्ठ ऊंचाइयां हैं उपनिषदों की, लेकिन हिंदू का आचरण? क्षुद्र है। इसलिए कभी-कभी बड़ा चकित होकर देखना पड़ता है।




आचार्य रजनीश ओशो

त्याग की इतनी महिमा है, लेकिन जिस तरह हिंदू पैसे को पकड़ता है, इस पृथ्वी पर कोई नहीं पकड़ता। जिनको हम भौतिकवादी कहते हैं, वे भी पैसे को इस पागलपन से नहीं पकड़ते। जितना लोभी हिंदू है, उतनी पृथ्वी पर कोई भी जाति खोजनी कठिन है। और अलोभ की इतनी चर्चा है! इतनी ऊंचाई विचार की और आचरण की इतनी क्षुद्रता! क्या होगा कारण? पश्चिम से लोग खोज करने आते हैं सत्य को पूरब, और जब यहां के लोगों को देखते हैं तब बहुत हैरान होते हैं। इनसे ज्यादा क्षुद्र वृत्ति के लोग उन्हें कहीं भी मिलने मुश्किल हैं। आत्मा-परमात्मा की बातें हैं, लेकिन इनका व्यवहार अत्यंत जमीन से बंधा हुआ है, और रु ग्ण है। क्या होगा कारण?

यह है कारण: जब एक दफे यह बात साफ हो गई कि सबके लिए जिम्मेवार परमात्मा है, भाग्य है, विधि है, कुछ किया नहीं जा सकता, तो तुम जैसे हो, वैसे हो। अतल खाई खुल गई गिरने की। जब भी कोई व्यक्ति अनुभव करता है, मैं जिम्मेवार हूं, तब उसकी चेतना सजग होगी। तब वह जागता है। तब वह श्रम करता है, चेष्टा करता है, सम्हालता है। क्योंकि तुम अपने को सम्हालोगे तो ही इस खाई में गिरने से बच सकते हो। तुमने अपने को नहीं संभाला तो कोई तुम्हें संभालने वाला नहीं है। सभी तुम्हें धक्के दे सकते हैं, लेकिन सम्हालने वाला तुम्हें कोई भी नहीं है। क्योंकि तुम्हारी ऊंचाई में किसकी उत्सुकता है? तुम्हारी शुद्धता में किसका रस है? और तुम जीवन के परम कगार बन जाओ, इसके लिए कौन मेहनत करेगा? सब अपने लिए मेहनत कर रहे हैं।

जिस दिन व्यक्ति का दायित्व शून्य हो जाता है, बस उसी दिन उसके आधार समाप्त हो जाते हैं। उसके पैर के नीचे की जमीन जैसे किसी ने खींच ली। अगर महावीर और बुद्ध ने पृथ्वी पर महानतम प्रयोग किया है और हजारों लोगों की चेतनाओं को निर्वाण तक पहुंचाया है, उस सबका आधार एक था कि उन्होंने कहा, कि कोई परमात्मा नहीं है, कोई भाग्य नहीं है तुम हो। और इसलिये अगर तुम नरक में जी रहे हो तो तुम ही कारण हो। निराश होने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि तुम ही नरक में भीतर गए हो, बाहर आ सकते हो। किसी ने तुम्हें भेजा नहीं है। यह तुम्हारा अपना निर्णय है। स्वेच्छा से तुम गए हो। जब तुम स्वेच्छा से गए हो, तो स्वेच्छा से बाहर आ सकोगे। इस पर किसी का दबाव नहीं है।



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