हताशा और डिप्रेशन

Last Updated 13 Jul 2022 09:41:28 AM IST

निराशा, हताशा और डिप्रेशन एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। जब आप निराश होते हैं, तो हताश होते हैं और हताश होने पर आप डिप्रेशन में चले जाते हैं।


सद्गुरु

मैं आपको एक किस्सा सुनाता हूं। एक बार शैतान ने अपना कारोबार बंद करने का फैसला किया, इसलिए उसने अपने सारे हथियार बेचने के लिए लगा दिए। उनमें क्रोध था, वासना थी, लालच, ईष्र्या, धन की लालसा, अहं था। उसने सब कुछ बेचने के लिए रख दिया।

लोगों ने सारी चीजें खरीद लीं, लेकिन फिर किसी ने ध्यान दिया कि उसके झोले में अब भी कुछ बचा है। उन्होंने शैतान से पूछा, ‘तुम्हारे पास अब क्या है?’ शैतान बोला, ‘ये मेरे सबसे असरदार हथियार हैं। इन्हें मैं नहीं बेचूंगा, शायद फिर कभी मुझे अपना धंधा शुरू करना पड़े। और अगर मैं इन्हें बेचने के लिए लगा भी दूं, तो वे बहुत अधिक महंगे होंगे। क्योंकि वे जीवन को तबाह करने वाले मेरे सबसे बेहतरीन हथियार हैं।’

लोगों ने पूछा, ‘हमें बताओ कि वे क्या हैं?’ शैतान बोला, ‘हताशा और डिप्रेशन’। जब आपके अंदर कोई उत्साह नहीं रह जाता, डिप्रेशन आ जाता है, तो जीवन की कोई संभावना नहीं रह जाती। जब आप कहते हैं, ‘मैं किसी चीज से निराश हो रहा हूं,’ तो आप हताशा और डिप्रेशन से ज्यादा दूर नहीं होते निराशा पहला पायदान होता है। तो आप निराशा को कैसे छोड़ें? देखिए आपको उसे छोड़ने की जरूरत ही नहीं है, बस आप उसे पकड़ें ही नहीं। जीवन का हर रूप खुद उत्साह है। किसी चींटी को चलते हुए देखिए। अगर आप उसका रास्ता रोकते हैं, तो क्या वह कभी निराश या हताश होती है? वह मरते दम तक अपनी पूरी कोशिश करती है।

एक नन्हें पौधे को देखिए, चाहे आप उसको छत पर रख दीजिए और कुछ नहीं, बस थोड़ी सी मिट्टी डाल दीजिए तो वह पच्चीस मीटर नीचे तक अपनी जड़ें फैला सकता है। आपको लगता है कि पौधा कभी निराश होता है? जीवन ऊर्जा किसी तरह की निराशा नहीं जानती। निराशा, हताशा और डिप्रेशन का मतलब है कि आप अपने ही जीवन के खिलाफ चल रहे हैं। एक मूर्ख व्यक्ति ही डिप्रेशन में जा सकता है। अगर आप बुद्धिमान होंगे तो आप कैसे डिप्रेशन में जा सकते हैं? आपने अपनी बुद्धि को पूरी तरह कैद कर दिया है, इसीलिए डिप्रेशन की गुंजाइश हुई। वरना डिप्रेशन का कोई सवाल ही नहीं है।



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