योजनाबद्धता
यदि किए जाने वाले कामों की योजना पहले से ही बनी रहे, निश्चित रहे कि कौन-सा काम किस समय प्रारंभ करके कब तक खत्म कर देना है, तो कोई दिक्कत ही न रहे।
श्रीराम शर्मा आचार्य |
निश्चित समय आते ही काम में लग जाया जाए और प्रयत्नपूर्वक समय तक समाप्त कर दिया जाए, इसका सबसे सरल तथा उचित उपाय है कि दूसरे दिन के सारे कामों की योजना रात में ही बना ली जाए। ऐसा हो तो कोई कारण नहीं कि हर काम अपने क्रम से अपने निर्धारित समय पर शुरू होकर ठीक समय पर समाप्त न हो जाए। बहुत से लोग काम का दिन शुरू होने पर-आज क्या-क्या करना है-यह सोचना प्रारंभ करते हैं। न जाने कितना काम का समय इस सोच-विचार में ही निकल जाता है।
बहुत-सा समय पहले ही खराब करने के बाद काम शुरू किए जाएं तो स्वाभाविक है कि आगे चलकर समय की कमी पड़ेगी और काम अधूरे पड़े रहेंगे जो दूसरे दिन के लिए और भी भारी पड़ जाएंगे। बासी काम बासी भोजन से भी अधिक अरु चिकर होता है। इसलिए बुद्धिमानी यही है कि दूसरे दिन किए जाने वाले काम रात को ही निश्चित कर लिए जाएं। दूसरा दिन शुरू होते ही बिना एक क्षण खराब किए उनमें जुट पड़ा जाए। इस प्रकार हर आवश्यक काम समय से पूरा हो जाएगा और बहुत-सा खाली समय शेष बचा रहेगा, जिसका सदुपयोग कर मनुष्य अतिरिक्त लाभ तथा उन्नति का अधिकारी बन सकता है। समय की कमी और काम की अधिकता की शिकायत गलत है।
वह अस्त-व्यस्तता का दोष है, जो कभी ऐसा भ्रम पैदा कर देता है। जहां तक फालतू समय का प्रश्न है, उसका अनेक प्रकार से सदुपयोग किया जा सकता है। जैसे कोई भी पढ़ा-लिखा व्यक्ति बच्चों की ट्यूशन कर सकता है। किसी नाइट स्कूल में काम कर सकता है। किसी फर्म अथवा संस्थान में पत्र-व्यवहार का काम ले सकता है। अर्जियां तथा पत्र टाइप कर सकता है। खाते लिख सकता है, हिसाब-किताब लिखने-पढ़ने का काम कर सकता है। ऐसे बीसियों काम हो सकते हैं, जो पढ़ा-लिखा व्यक्ति अपने फालतू समय में आसानी से कर सकता है, और आर्थिक लाभ उठा सकता है। बड़े-बड़े शहरों और विशेष तौर से विदेशों में अपना दैनिक काम करने के बाद अधिकांश लोग जगह-जगह ‘पार्ट टाइम’ काम किया करते हैं।
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