बदलना होगा सिस्टम
एक आजाद देश को अपना सिस्टम बनाना चाहिए था, लेकिन हमने अपने पुराने सिस्टम में बस बहुत थोड़ा सा बदलाव कर लिया।
![]() सद्गुरु |
इसी वजह से कई मायनों में हमने खुद को पंगु बना लिया है। जो लोग हम पर बाहर से शासन करना चाहते थे, उन्होंने कुछ खास तरह का तंत्र व सिस्टम तैयार किया, क्योंकि वे हम पर अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते थे। एक आजाद देश को अपना सिस्टम बनाना चाहिए था, लेकिन हमने अपने पुराने सिस्टम में बस बहुत थोड़ा सा बदलाव कर लिया। यहां तक कि आज भी इस देश में अगर किसी बच्चे या बड़े की तरफ अचानक कोई पुलिस वाला बढ़ता है तो वे एकदम से डर जाते हैं। अगर पुलिस न हो तो आपको डरना चाहिए, लेकिन अधिकतर लोग आज भी पुलिस को आता देख डर जाते हैं।
यह किसी और समय की बात है, जब किसी पुलिस वाले के आने का मतलब होता था कोई आपके साथ कुछ बुरा करने वाला है। अब होना यह चाहिए कि अगर पुलिसवाला आ रहा है तो इसका मतलब है कोई आपकी सुरक्षा के लिए आ रहा है, लेकिन अभी भी हम इस सोच को नहीं अपना पाए हैं। यह चीज आज भी हमारी मानसिकता में नहीं आती, क्योंकि गुलामी के दौर में हमने जिस सिस्टम का पालन किया, लगभग उन्हीं नियमों व तंत्र का हम अभी भी पालन कर रहे हैं।
भले ही इनमें थोड़े बहुत बदलाव हुए हों, लेकिन जो बुनियादी बदलाव होने चाहिए थे, वे नहीं हुए-जैसे हमारा पुलिस बल कैसा होना चाहिए, हमारा प्रशासनिक बल कैसा होना चाहिए, हमारी राजनैतिक प्रणाली कैसे काम करनी चाहिए, जिन चीजों पर हमें जितना ध्यान देना चाहिए, वैसा ध्यान हमने नहीं दिया। अगर आपको पता ही नहीं होगा कि आपको कैसे सिस्टम की जरूरत है, आप कैसी गतिविधि संचालित करना चाहते हैं, और अगर आप गलत सिस्टम लागू कर देंगे तो आपकी गतिविधि अपंग होकर रह जाएगी।
तो अगर आप गुलामी के दौर के सिस्टम को वैसे का वैसा अपनाते हैं, तो इसके पीछे कारण यह है कि ऐसा करना आपके लिए आसान है। आजादी के इतने सालों बाद भी हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा आज भी गरीबी के बेहद निचले स्तर पर है। हमारे पोषण का स्तर सबसे कम है। हम लोग बड़ी आबादी को पैदा करने में व्यस्त हैं।
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