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तत्व ज्ञान | ||||
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एक बार की बात है कि एक पुण्य व्यक्ति परिवार सहित तीर्थ के लिए निकला..कई कोस बाद परिवार को प्यास लगने लगी, ज्येष्ठ का महीना था, आसपास पानी नहीं दिखाई पड़ रहा था।
इतने में उसे कुछ दूर पर एक साधू तप करता नजर आया.. व्यक्ति ने साधू से जाकर समस्या बताई..साधू बोले कि यहां से एक कोस दूर उत्तर की दिशा में छोटी दरिया बहती है। उसने साधू को धन्यवाद बोला..पत्नी एवं बच्चों की स्थिति नाजुक होने के कारण वहीं रु कने के लिया बोला और खुद पानी लेने चला गया..जब वो दरिया से पानी लेकर लौट रहा था तो उसे रास्ते में पांच व्यक्ति मिले जो अत्यंत प्यासे थे..पुण्य आत्मा ने सारा पानी उन प्यासों को पिला दिया..जब वो दोबारा पानी लेकर आ रहा था तो पांच अन्य व्यक्ति मिले जो उसी तरह प्यासे थे..पुण्य आत्मा ने फिर सारा पानी उनको पिला दिया..।
यही घटना बार-बार हो रही थी..और काफी समय बीत जाने के बाद जब वो नहीं आया तो साधू उसकी तरफ चल पड़ा..बार-बार उसके इस पुण्य कार्य को देखकर साधू बोला-‘हे पुण्य आत्मा तुम बार-बार अपनी बाल्टी भरकर दरिया से लाते हो और किसी प्यासे के लिए.. खाली कर देते हो..इससे तुम्हें क्या लाभ मिला..?’ पुण्य आत्मा ने बोला, ‘मुझे क्या मिला? या क्या नहीं मिला, इसके बारे में मैंने कभी नहीं सोचा..पर स्वार्थ छोड़कर अपना धर्म निभाया..।’ साधू बोला-‘ऐसे धर्म निभाने से क्या फायदा जब तुम्हारे अपने बच्चे और परिवार ही जीवित न बचें? अपना धर्म ऐसे भी निभा सकते थे जैसे मैंने निभाया..’।
पुण्य आत्मा ने पूछा-‘कैसे महाराज?’ साधू बोला-‘मैंने तुम्हें दरिया से पानी लाकर देने की बजाय दरिया का रास्ता ही बता दिया..तुम्हें भी उन सभी प्यासों को दरिया का रास्ता बता देना चाहिए था..ताकि तुम्हारी भी प्यास मिट जाए और अन्य प्यासे लोगों की भी..फिर किसी को अपनी बाल्टी खाली करने की जरूरत ही नहीं..’।
इतना कहकर साधू अंतर्ध्यान हो गया..। पुण्य आत्मा को सब कुछ समझ आ गया कि अपना पुण्य खाली कर दूसरों को देने की बजाय, दूसरों को भी पुण्य अर्जित करने का रास्ता या विधि बताएं..। मित्रो-ये तत्व ज्ञान है..अगर किसी के बारे में अच्छा सोचना है, तो उसे उस परमात्मा से जोड़ दो ताकि उसे हमेशा के लिए लाभ मिले!!
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