अस्तित्व
सभी इंसान जीवन में उतार-चढ़ाव का सामना करते हैं। ये मानव के अस्तित्व का अभिन्न अंग हैं और इनसे बचा नहीं जा सकता।
![]() संत राजिन्दर महाराज |
प्रश्न यह है कि जीवन-पथ पर जब हम ऊंच-नीच का सामना करेंगे तो क्या हम मन की शांति खोकर, अस्थिर बनना चाहेंगे? अगर हम अपने आपको, जिंदगी में घटने वाली हर घटना से प्रभावित होने देंगे तो हमें लगेगा कि जैसे हम हर समय एक रोलर कोस्टर की सवारी कर रहे हैं।
हम आनंद की ऊंचाइयों से घोर निराशा की गहराइयों में पहुंच जाएंगे और फिर अगले ही क्षण वापस आनंद की अवस्था में होंगे। इस लगातार बदलाव से अक्सर भय, तनाव और आतंक पैदा होता है क्योंकि हमें कभी यह पता नहीं होता कि आगे क्या होगा। समय के साथ, भय और तनाव की यह अवस्था हमारे स्वभाव का हिस्सा बन जाती है और हम शांत या तनाव रहित नहीं हो पाते। चूंकि जीवन के उतार-चढ़ावों पर हमारा कोई खास नियंत्रण नहीं होता है तो हम शांति और तनावरहित जीवन कैसे जिएं? जिंदगी के तूफान और खुशहाली के बीच में, एक शांत स्थान तलाश कर हम एक संतुलित जहाज पर स्थिर रह सकते हैं।
हम ध्यानाभ्यास और प्रार्थना के द्वारा इस शांत स्थान पर पहुंच सकते हैं। हमारे अंतर में समस्त दैवी खजाने हैं। हम मात्र शरीर और मन नहीं हैं, बल्कि हम आत्मा हैं। आत्मा ज्योति, प्रेम और आनंद से भरपूर है। कैसे? यह हर समय देवत्व के स्रोत, प्रभु से जुड़ी रहती है जो कि संपूर्ण ज्योति, प्रेम और आनंद है। सृजनात्मक शक्तियानी प्रभु और आत्मा एक ही तत्व के बने हैं। अगर हम प्रति दिन कुछ समय अंतर, आत्मा की शांति में व्यतीत करें तो हम आनंद के एक स्थान से जुड़ जाएंगे।
तब हमारी जिंदगी की बाहरी परिस्थितियां हमें प्रभावित नहीं करेंगी। हम एक स्थिर स्थान पर पहुंचना सीख सकते हैं, जो शांति और समन्वय से भरा हो, जो कि जिंदगी की बाहरी ऊंच-नीच के बावजूद हमें शात खुशी प्रदान करेगा। जब अगली बार हमें दु:ख-दर्द हो तो हम याद रखें, यह समय भी बीत जाएगा। ये पांच लफ्ज हमें तकलीफ में से, अधिक सहजता और विश्वास से गुजरने में मददगार हो सकते हैं। ये हमें याद दिलाएंगे कि हम अपने अंतर में शांति के स्थिर स्थान को ध्यान-अभ्यास द्वारा खोजें। अगली बार जब हम बहुत खुश हों तो हम याद रखें कि यह समय भी गुजर जाएगा ताकि हम उनका लुत्फ उठा सकें।
Tweet![]() |