तनाव

Last Updated 17 Jun 2020 05:07:41 AM IST

हम जो भी करते हैं, वह किसी-न-किसी रूप में, दूसरे इंसान के जीवन में योगदान दे रहा है।


सद्गुरु

अगर आप यह देखें कि कैसे आप सचेतन तरीके से अपने काम के जरिए सबके जीवन में कुछ योगदान दे सकें, तो आपका जीवन पूरी तरह से बदल जाएगा। योगदान देने का मतलब यह नहीं होगा कि आपको अपने कारोबार से मुनाफा नहीं होगा। अगर आप लगातार यह देखें कि आप अपने आसपास के लोगों के लिए सबसे बेहतर क्या कर सकते हैं तो लाभ अपने-आप होगा - आपको इसकी चिंता नहीं करनी होगी।

योगदान देने से मतलब धन या किसी तरह का लाभ देना नहीं है-यह आपके जीवन की बुनियादी इच्छाशक्ति (संकल्प) है। अगर आप अपने जीवन को ऐसे सहयोग में बदल देंगे, तो आपका जीवन सही मायनों में सार्थक होगा क्योंकि आप वह रच रहे हैं, जिसकी आपको परवाह है। अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो आपके लिए हर दिन अपने काम पर जाना आनंददायक होगा। ऐसे में आप कभी तनाव की वजह से नहीं मरेंगे, मेरा यकीन करें। हो सकता है कि आप काम से थककर मार जाएं, लेकिन आप तनाव से कभी नहीं मरेंगे।

यह बहुत अच्छी बात है। जिस क्षण में आप देखते हैं कि दूसरों के जीवन में कैसे योगदान करना है, उसी क्षण से आपके भीतर एक तरह का सुखद अनुभव पैदा होगा। आपका मन और शरीर बेहतर तरीके से काम करने लगेंगे। इसे साबित करने के लिए हमारे पास अच्छे-खासे वैज्ञानिक और मेडिकल प्रमाण भी मौजूद हैं। अगर आपका मन और शरीर सही तरह से काम नहीं कर रहा, तो क्या आपको लगता है कि इस तरह सफलता हाथ आएगी? जब आप बेहतर नतीजे पाने के लिए अपने हुनर को पूरी तरह से निखार देते हैं, तब सफलता आपके हाथ आती है। अगर आप ऐसा चाहते हैं तो आपके लिए सुखद अनुभव में रहना आवश्यक है। तब आप जितना अधिक करेंगे, उतना ही बेहतर महसूस करेंगे।

अगर आप सही मायनों में परमानंद को महसूस करते तो क्या आप जीवन के उद्देश्य के बारे में बात करते। आप यह सवाल इसलिए कर रहे हैं क्योंकि कहीं न कहीं आपके जीवन का अनुभव बहुत अच्छा नहीं है। अधिकतर इंसान विचारों, भावों, मतों तथा पूर्वाग्रहों का पुलिंदा बन कर रह गए हैं। इसका अर्थ है कि आपका मनोवैज्ञानिक ड्रामा आपके जीवन पर कब्जा कर रहा है।



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