करने की बीमारी
पहले, कृत्य की प्रकृति और उसमें छिपे प्रवाह को समझना होगा, अन्यथा विश्रान्ति सम्भव नहीं है।
![]() आचार्य रजनीश ओशो |
यदि फिर भी तुम विश्रान्त होना चाहते हो, यह असम्भव होगा यदि तुम ने कृत्य की प्रकृति को ध्यान से नहीं देखा होगा, ध्यान नहीं रखा होगा, वास्तव में साकार होते नहीं देखा होगा, क्योंकि कृत्य साधारण घटना नहीं है। बहुत से लोग विश्रान्त होना चाहते हैं, लेकिन वे विश्रान्त नहीं हो पाते। विश्रान्ति एक फूल खिलने के समान है: तुम इसे मजबूर नहीं कर सकते। तुम्हें पूरी घटना को समझना होगा। तुम इतने सक्रिय क्यों हो, सक्रियता की इतनी आतुरता क्यों, इसके लिए इतना पागलपन क्यों? दो शब्द याद रखें: एक कर्म है, दूसरा कृत्य है।
कर्म कृत्य नहीं है; कृत्य कर्म नहीं है। इनकी प्रकृति पूर्णतया विपरीत है। परिस्थिति की मांग पर कर्म होता है, तुम कार्य करते हो, प्रतिसंवेदन करते हो। कृत्य में परिस्थिति का महत्त्व नहीं है, यह प्रतिसंवेदन नहीं है; तुम्हारे अन्दर इतनी बेचैनी है, परिस्थिति तो कार्य करने का बहाना हैं। कर्म शांत मन से आता है। यह संसार की सबसे खूबसूरत चीज है। कृत्य अशांत मन से आता है। यह बदसूरत है। ज्यादा कर्म करें, और कृत्यों को अपने आप छूट जानें दें। तुम्हारे अन्दर धीरे-धीरे रूपांतरण आएगा। यह समय लेगा, इसे पकने दें, लेकिन कोई जल्दी भी नहीं है।
अब तुम समझ सकते हो विश्रान्ति क्या है। इसका मतलब है कि तुममें कृत्य की कोई उत्तेजना नहीं है। एक मरे हुए इन्सान की भांति लेट जाना विश्रान्ति नहीं है; और तुम मरे हुए इन्सान की भांति लेट भी नहीं सकते; तुम केवल दिखावा कर सकते हो। जब कृत्य की कोई उत्तेजना नहीं होगी तो विश्रान्ति आएगी; ऊर्जा केन्द्र पर है, कहीं नहीं जा रही है। यदि कोई परिस्थिति आती है तो तुम कर्म करोगे, यही सब कुछ है, लेकिन तुम कार्य करने का कोई बहाना नहीं ढूंढ रहे हो। तुम अपने आप में सहज हो। विश्रान्ति का अर्थ है तुम घर लौट आए।
विश्रान्ति सिर्फ शरीर की नहीं है, यह सिर्फ मन की भी नहीं है, यह तो तुम्हारे पूरे अंतस की है। तुम कृत्य में बहुत ज्यादा उलझे हो; अवश्य ही थक गए हो, छितर गए हो, शुष्क हो गए हो, जम गए हो। जीवन की ऊर्जा गतिशील नहीं है। वहां सिर्फ बाधाएं ही बाधाएं हैं। और जब भी तुम कुछ करते हो उसे एक पागलपन में करते हो। इसीलिए विश्राम करने की जरूरत पैदा हो जाती है। इसीलिए हर महीने इतनी सारी किताबें विश्रान्ति के संबंध में लिखी जाती हैं।
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