स्वास्थ्य

Last Updated 29 Jan 2020 12:59:57 AM IST

मूल रूप से स्वास्थ्य का अर्थ है सुखदता का एक विशेष स्तर। जब आपका शरीर सुख में होता है तो हम इसे अच्छा स्वास्थ्य कहते हैं।


जग्गी वासुदेव

अगर यह बहुत ज्यादा सुखी हो जाता है तो हम इसे प्रसन्नता कहते हैं। अगर आपका मन सुख में होता है तो हम इसे शांति कहते हैं। जब यह बहुत ज्यादा सुखी होता है तो हम इसे परमानंद कहते हैं। अगर आपकी भावनाएं सुखद हैं तो हम इसे प्रेम कहते हैं। जब ये बहुत ज्यादा सुखद होती हैं तो हम इसे करु णा कहते हैं।

जब आपकी ऊर्जाएं सुखद होती हैं,  तो हम इसे आनंद कहते हैं। जब ये बहुत ज्यादा सुखद हो जाती हैं तब हम इसे उल्लास कहते हैं। जब आपके आसपास का वातावरण सुखद हो जाता है तो हम इसे सफलता कहते हैं। हम अपने अंदर रसायन डाल कर सुखदता का प्रबंधन करने का प्रयत्न कर रहे हैं। कहा जाता है कि अमेरिका में 70% जनसंख्या दवाओं पर जी रही है। सबसे समृद्ध देश, जहां लोगों के पास पोषण और जीवन पद्धति के इतने सारे विकल्प उपलब्ध हैं, में वहां 70% लोग पर्चे में लिखी दवाइयों पर अपना जीवन जी रहे हैं।

आप अपने मानसिक स्वास्थ्य एवं शारीरिक स्वास्थ्य का प्रबंधन बाहर से रसायन डाल कर कर रहे हैं। मानव शरीर एक जटिल रासायनिक कारखाना है। इसका प्रबंधन बाहर से करना मुश्किल है। आप इसका अंदर से प्रबंधन कर सकते हैं पर उसके लिए आपकी पहुंच अपने अंदर होनी चाहिए। यह योग है जो आपके अंदर धड़क रहे, सृष्टि के स्रेत तक, आपकी पहुंच बनाता है। आप की आंतरिक व्यवस्था में इतनी बुद्धिमत्ता है, जो चावल के एक दाने को, या एक केले को या रोटी के एक टुकड़े को मनुष्य बना देती है। सोचिए, रोटी के टुकड़े से आप पृथ्वी की सबसे जटिल मशीन बना लेते हैं।

इस बुद्धिमत्ता की एक बूंद भी अगर आपके दैनिक जीवन में प्रवेश कर जाए, तो आप जादुई ढंग से जिएंगे। जगत का सबसे अद्भुत इंजीनियर आपके अंदर है। यही वो बात है जिसके आधार पर हम आपको इनर इंजीनियरिंग देते हैं-अपनी आंतरिक व्यवस्था की इंजीनियरिंग करके अपने जीवन का प्रभार स्वयं लेने का काम! हम जिस तरह से जन्म लेते हैं, जिस तरह से हम जीते हैं, सोचते हैं, महसूस करते हैं और अपने जीवन का अनुभव करते हैं, हम कहां पहुंचेंगे और कैसे मरेंगे-यह हर व्यक्ति द्वारा स्वयं ही तय किया जाता है।



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