नया नजरिया
अगर हम अस्तित्व के स्तर पर देखें तो एक साल पूरा करके दूसरे साल में जाने का कोई मतलब नहीं निकलता है। हम कहीं नहीं जा रहे हैं, हम हमेशा इस एक पल में ही हैं।
जग्गी वासुदेव |
लेकिन इस धरती पर इंसान के अनुभवों में व्यक्तिगत रूप से भी और सामाजिक रूप से भी नये साल का एक खास महत्त्व है। नये साल के बहाने हमें एक मौका मिलता है, जब हम पीछे मुड़कर देख सकते हैं कि हमने अपने साथ क्या किया, धरती के साथ क्या किया और पूरी मानवता के साथ क्या किया। यह जीवन के लिए नये लक्ष्य को, नये नजरिए को तय करने का मौका भी है।
अगर कोई इंसान अपने लिए या पूरी दुनिया के लिए कुछ करना चाहता है, तो यह बहुत जरूरी है कि उसके पास एक नजरिया हो। पुराने समय में ऐसा होता रहा है कि कभी बुद्ध, कभी जीसस या कभी विवेकानंद अपने विजन के साथ आगे आए और बाकी लोग जाने-अनजाने उनके पीछे-पीछे चल पड़े। लेकिन अब ऐसी स्थिति है, कि सबके दिमाग सक्रिय हैं। मानवता के इतिहास में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ, जब इंसानी दिमाग इतने सक्रिय हुए हों। यह एक असाधारण संभावना है और साथ ही खतरा भी। दिशाहीन, बेतरतीब, और बेकाबू दिमाग दुनिया को कहीं ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं। आज इंसान परिस्थितियां नहीं बना रहा, बल्कि परिस्थितियां इंसान को बना रही हैं।
हालात बनाने के लिए आधुनिक विज्ञान ने काफी कुछ किया है, लेकिन इंसान को कैसे बनाया जाए, इस पर विज्ञान ने ध्यान नहीं दिया है। एक अच्छी मशीन कैसे बनाएं, अच्छा कंप्यूटर कैसे बने, अच्छे कारखाने कैसे लगें, इन सब बातों पर तो विज्ञान ने पूरा ध्यान दिया है, लेकिन एक बेहतरीन इंसान कैसे बनाया जाए, विज्ञान ने इस बात को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। योग विज्ञान यही बताता है कि एक बहुत अच्छा इंसान कैसे बनाएं?
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इस धरती पर हमने कितने सुविधाजनक साधन पैदा कर लिए हैं। जब तक हमारे आस-पास अच्छे लोग नहीं होंगे, हमारा जीवन अच्छा नहीं हो सकता। सुख के अभूतपूर्व और बेमिसाल साधन हमारे पास आ चुके हैं, लेकिन साथ ही मानवता के लिए अभूतपूर्व खतरे भी पैदा हुए हैं। तो यह नया साल हमारे लिए एक मौका है कि हम अपना लक्ष्य इस तरह से निश्चित करें कि हजारों लोग उसी लक्ष्य को अपना लें।
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