प्रयोग

Last Updated 30 Oct 2019 04:02:42 AM IST

मैं एक जगह गया था जहां योग और योगियों पर सभी प्रकार के प्रयोग किये जा रहे थे।


जग्गी वासुदेव

उन्हें लगा कि प्रयोग करने के लिए मैं एक अच्छा साधन था, किसी ऐसे जानवर जैसा जिस पर आम तौर पर प्रयोग किए जाते हैं। उन्होंने मुझे बताया कि वे मेरे दिमाग में गामा तरंगों पर परीक्षण करना चाहते हैं। मुझे मालूम भी नहीं था कि मेरे दिमाग में ऐसी तरंगें भी थीं। मेरे शरीर के अलग अलग भागों पर, खास तौर पर सिर के भाग में, 14 इलेक्ट्रोड्स लगाए और फिर मुझे बोले,‘अब आप ध्यान कीजिए’! मैंने कहा,‘मैं कोई ध्यान नहीं जानता’। वे बोले, ‘नहीं, नहीं, आप तो हर किसी को ध्यान सिखाते हैं’। मैंने जवाब दिया,‘मैं लोगों को ध्यान सिखाता हूं क्योंकि वे एक स्थान पर स्थिर नहीं बैठ पाते। तो उन्हें बैठाए रखने के लिए मुझे उनको कुछ सिखाना पड़ता है’। तो वे बोले, ‘ठीक है, तो बताईये, आप क्या कर सकते हैं’? मैंने कहा,‘अगर आप कहें तो मैं बस स्थिर बैठा रहूंगा। तब उन्होंने कहा,‘ठीक है, वैसा ही कीजिए’। तो मैं बैठ गया। लगभग 15 से 20 मिनट बाद, मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मेरे घुटनों पर धातु की किसी चीज से मार रहा था।

फिर उन्होंने मेरी कोहनियों और टखनों पर मारना शुरू किया  सभी ऐसी जगहों पर जहां सबसे ज्यादा दर्द होता है। मैं नहीं जानता था कि उन्हें मेरे जोड़ों में क्या रु चि थी ? ये लगातार होता रहा और फिर उन्होंने मेरी पीठ पर मारना शुरू किया। मेरी रीढ़ अत्यधिक संवेदनशील है और जब वे मेरी पीठ पर मारने लगे तो मुझे लगा कि अब मुझे उनको बता देना चाहिए। जब मैंने आंखें खोलीं तो वे सब मेरी ओर अजीब नजरों से देख रहे थे। ‘क्या मैंने कुछ गलत किया’? मैंने पूछा। वे बोले,‘नहीं, पर हमारी मशीन के अनुसार आप मर चुके हैं’। मैंने कहा,‘अच्छा ! ये तो बहुत जबरदस्त निदान है’। फिर उन्होंने कहा,‘या तो आप मर चुके हैं या आप का दिमाग मर चुका है’। मैं बोला,‘ये आप का दूसरा निदान बहुत अपमानजनक है। मैं पहली बात स्वीकार कर लूंगा। आप को जो कहना हो, कहिए। लेकिन मैं जिंदा हूं इसलिए आपके कहने से फर्क नहीं पड़ेगा। पर दिमागी रूप से मृत होने का प्रमाणपत्र कोई अच्छी बात नहीं है’। शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से, आप की ये बढ़ी हुई योग्यता लोगों की भीड़ में भी आप को अलग खड़ा कर देगी, अगर आप क्रियायें पर्याप्त रूप से करें।



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