जागरूकता

Last Updated 23 Oct 2019 04:59:15 AM IST

अधिकतर लोग अपना सारा जीवन बस शरीर की मजबूरियां को पूरा करने में ही गुजार देते हैं- क्या खाना है, कहां सोना है, किसके साथ सोना है..ये सब सिर्फ शरीर की बाध्यताओं के बारे में सोचने की बात है।


जग्गी वासुदेव

शरीर की मजबूरियां हैं, आप उन्हें नकार नहीं सकते पर अपने जीवन के इस आयाम के लिए आप अपना कितना समय, अपनी कितनी ऊर्जा लगाना चाहते हैं? मैं चाहता हूं कि आप इसे खुले मन से देखें। मेरी रु चि आप के जीवन के किसी भी भाग को बदसूरत या बेकार कहने में नहीं है, पर समस्या ये है, कि अपने जीवन के हर क्षण में, आप मृत्यु के निकट जा रहे हैं। जीवन एक सीमित समय है।

इस कारण से इस प्रश्न पर विचार करना आवश्यक है, कि आप अपने जीवन का कितना समय, कितनी ऊर्जा अपनी शारीरिक और मनोवैज्ञानिक बाध्यताओं को पूरा करने में लगाते हैं? यदि आप प्रकृति की मूल शक्तियों के साथ तालमेल में हुए बिना, अपने शरीर और मन की बाध्यताओं को कम करने का प्रयास करेंगे तो ऐसा लगेगा कि आप हर चीज का त्याग कर रहे हैं, बलिदान कर रहे हैं। ये संन्यास नहीं है। संन्यास का अर्थ ये है कि आप जागरूकता के साथ यह तय करते हैं  कि आप अपनी शारीरिक बाध्यताओं में कम से कम समय लगाएंगे। ये बुद्धि के एक खास आयाम से होता है।

ये त्याग नहीं है, न बलिदान है, न जीवन को छोड़ देना है। वास्तव में, संन्यास पूरी तरह से जीवन के पक्ष में है। क्योंकि आप उस जीवन के पक्ष में हैं, जो आप खुद हैं, न कि इस शरीर या मन के पक्ष में, जिन्हें आपने इकट्ठा किया है। आप कल संन्यासी नहीं बनने वाले और मैं  आप को संन्यासी बनाना भी नहीं चाहता। महत्त्वपूर्ण बात है अपने जीवन को बेहतर बनाना। आप के चारों ओर जीवन के जो प्राकृतिक चक्र हैं, उनके साथ अपने जीवन को तालमेल में लाना अहम है।

साथ ही जीवन को पृथ्वी के तालमेल में लाना, जिसने जीवन को वैसा बनाया है जैसे वह है, यह महत्त्वपूर्ण है। हमने आप को यौगिक क्रियायें इसलिए सिखायी हैं कि आप समभाव की एक खास अवस्था में आ जाएं, आप भीतरी तालमेल की एक खास अवस्था में रह सकें। यौगिक क्रियायें करने का लाभ ये होना चाहिए कि आप पानी, हवा, भोजन, अग्नि, गर्मजोशी और निश्चित रूप से जीवित ऊर्जा जैसे सभी तत्वों के साथ पूरी तरह से तालमेल रख सकें।



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