बुरी आदत

Last Updated 19 Sep 2019 03:14:06 AM IST

एक अमीर आदमी अपने बेटे की किसी बुरी आदत से बहुत परेशान था। वह जब भी बेटे से आदत छोड़ने को कहते तो उसका एक ही जवाब मिलता, ‘अभी मैं इतना छोटा हूं।


श्रीराम शर्मा आचार्य

धीरे-धीरे ये आदत छोड़ दूंगा!’ मगर वह कभी भी आदत छोड़ने का प्रयास नहीं करता। इस वजह से घरवाले काफी चिंतित रहने लगे। उन्हीं दिनों एक महात्मा गांव में पधारे हुए थे, जब आदमी को उनकी ख्याति के बारे में पता चला तो वह तुरंत उनके पास पहुंचा और अपने बेटे की बुरी आदत के बारे में उन्हें बताने लगा। महात्मा जी ने उसकी बात सुनी और कहा, ‘ठीक है,  आप अपने बेटे को कल सुबह बागीचे में लेकर आइये, वहीं मैं आपको उपाय बताऊंगा।’

अगले दिन सुबह पिता-पुत्र बागीचे में पहुंचे। महात्मा जी बेटे से बोले, ‘आइये हम दोनों बागीचे की सैर करते हैं।’ और वो धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगे। चलते-चलते ही महात्मा जी अचानक रु के और बेटे से कहा, ‘क्या तुम इस छोटे से पौधे को उखाड़ सकते हो?’ ‘जी हां, इसमें कौन सी बड़ी बात है।’ और ऐसा कहते हुए बेटे ने आसानी से पौधे को उखाड़ दिया। फिर वे आगे बढ़ गए और थोड़ी देर बाद महात्मा जी ने थोड़े बड़े पौधे की तरफ इशारा करते हुए कहा, ‘क्या तुम इसे भी उखाड़ सकते हो?’ बेटे को तो मानो इन सब में कितना मजा आ रहा हो, वह तुरंत पौधा उखाड़ने में लग गया।

इस बार उसे थोड़ी मेहनत लगी पर काफी प्रयत्न के बाद उसने इसे भी उखाड़ दिया। वे फिर आगे बढ़ गए और कुछ देर बाद पुन: महात्मा जी ने एक गुड़हल के पेड़ की तरफ इशारा करते हुए बेटे से इसे उखाड़ने के लिए कहा। बेटे ने पेड़ का ताना पकड़ा और उसे जोर-जोर से खींचने लगा। पर पेड़ तो हिलने का भी नाम नहीं ले रहा था। जब बहुत प्रयास करने के बाद भी पेड़ टस-से-मस नहीं हुआ तो बेटा बोला, ‘अरे! ये तो बहुत मजबूत है इसे उखाड़ना असंभव है।’

महात्मा जी ने उसे प्यार से समझाते हुए कहा, ‘बेटा, ठीक ऐसा ही बुरी आदतों के साथ होता है। जब वे नई होती हैं तो उन्हें छोड़ना आसान होता है, पर वे जैसे-जैसे पुरानी होती जाती हैं, इन्हें छोड़ना मुशिकल होता जाता है।’ बेटा उनकी बात समझ गया और उसने मन-ही-मन आज से ही बुरी आदतें छोड़ने का निश्चय किया।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment