क्षमता

Last Updated 31 May 2019 06:44:42 AM IST

किसी भी मशीन में, चाहे जिस तरह के ईधन का उपयोग हो रहा हो, उसकी क्षमता इस बात पर निर्भर करती है कि वह कितनी आसानी से जलता है?


जग्गी वासुदेव

उदाहरण के लिये एक सामान्य कार में आप जिस गैसोलीन का उपयोग करते हैं, वह रेसिंग कार या विमान के गैसोलीन से अलग होता है, और उसका कारण है ईधन का आसानी से जलना! आपने पेट्रोल पम्पों पर अलग-अलग स्तर के ऑक्टेन वाले गैसोलीन देखे होंगे- 87, 89, 90, 91, 93, 96.. हम जब मोटरसाइकिल चलाते थे तो 100 ऑक्टेन वाला तेल लेने के लिये तीन गुना रकम देते थे क्योंकि उससे अचानक ही हमारी मोटरसाइकिल ऐसे दौड़ती थी, जैसे दूसरी नहीं दौड़ सकती थी।

सबसे ज्यादा आसानी से पचने वाला भोजन है-फल। पाचन का अर्थ है, जठराग्नि-पाचन अग्नियां। अगर इन अग्नियों को सबसे ज्यादा प्रभाव के साथ जलना है तो, निश्चित ही फल सबसे अच्छे हैं। दुर्भाग्यवश, बहुत सारे लोगों को आलस्य और जड़ता में ही मजा आता है। उनको जीवन ने छुआ ही नहीं है, तो उन्हें अपने एक भाग के मृत होने में ही मजा आता है।

बस पड़े रहना, सोना, नशे में रहना और ज्यादा खाना, उन्हें सक्रिय, गतिशील और जीवंत रहने से बेहतर लगता है। ऐसे ही लोगों के लिये फल समस्या हो सकते हैं क्योंकि फल आप को जागृत और सतर्क रखते हैं। अगर ये पके हुए न हों तो ये आप को मदहोश नहीं रखेंगे। हां, उच्च स्तर की जागरूकता भी आप को अपार आनंद, गहरा सुख और नशा दे सकती है। मगर अब प्रश्न यह है कि क्या मैं फल खा कर भी सामान्य जीवन जी सकता हूं? एक सरल उत्तर, जो आप के जीवन की सामान्य क्रियाओं में ही है।

मान लीजिये, आप एक अस्पताल के बिस्तर पर बीमार हैं, तो कोई भी आप के लिये चिकन बिरयानी नहीं लाएगा। वे आप के लिये फल ही लाएंगे क्योंकि आप के रिश्तेदार, मित्र भी समझते हैं, ‘तुम ये सब खा कर बीमार हो गए हो, कम से कम अब तो सही ढंग से खाओ’! आप जानते हैं, आदम ने भी शुरु आत फल से ही की थी। तो फल एक ऐसी चीज है जिसे प्रकृति ने भोजन के रूप में ही बनाया है। आम में गुठली महत्तवपूर्ण भाग है, उसका गूदा और छिलका तो पशु, पक्षियों को आकर्षित करने के लिये है, जिससे वे फल खाएं और उसके बीज को कहीं दूर तक पहुंचा दें।



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